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भीमन्महाभारतम् : : श्लोकानुक्रमको
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देवद रुवने स्नात्वा (अनु) २५२७ देवब्रह्मर्षयश्चैव कृष्ण (उद्योग ६३.२८ देवयान्यामजायेता (आ) ७५.३५ देवर्षपच मुदितास्ततो(आ) ७२७ देववत्सततं साध्वी भा(अन) १४६.४० देवदुन्दुभयश्चैव (भीष्म) ११६.३६ देवभक्त्या विश्वोत्पन्न (शांति) ३३५.१२ देवयान्याश्चानुमते सुतां (आ) ८२.२ देवर्षयस्तथा यक्षा (वन) १५४.८५ देवाक्यात् प्रचिच्छेद (द्रोण) २६.४६ देवदुन्दुभवाचैव प्रावा(शांति)३२४.१५ देवमानुपकायानां काम (भीष्म) ६.७३ देवर प्रविणेत्कन्या रूप्येद्वा(जनु)४४.५२ देवर्षिगन्धर्वयुतः प्रथमो (भीष्म) ११.१५ देवव्रत: कृती भीम:(भीष्म ) १०७.५३ देवदूत नमस्तेऽस्तु गच्छ(वन)२६१.४२ देवमानुषयोः शक्त्या (उद्योग) ६०.४ देवराज जहि क्रोध (उद्योग) १२.१२ देवर्षिगन्धर्वसमाकुलं तत्(आ)१८७.१३ देवव्रतत्वं विज्ञाप्य (उद्योग) १७२.१६ स्वदूतषः बुत्वा (मा.म) ४८.१०४ देवमानुपलोको दो (उद्योग) १७.१७ देवराजमथोवाच (उद्योग) १३.४ देवर्षिणा समागम्य (आश्व) ६.११ देवव्रत निबोध (उद्योग) १४८.१८ देवदूतेन नरकं यत्र (आ) २.३७३ देवमाराधायच्छवं गुणन द्रोण)४२.१४ देवराजमनृप्राप्तं (वन) ३१०.. देवर्षिपितृयज्ञा थंमार (आ) १००.१७ देवव्रतस्य समरे (द्रोण) १०.४६ देवदूतेन यः पृष्टः (अनु) १२५.३७ देवं चराचरात्मान (भी) ६६.२१ देवराज सहस्राक्षमु (वन) १६८.५५ देवर्षि तु शुको दृष्ट्वा (शांति) ३२६.२ देवाती स्यावृषभ (अनु) ७१.५० देवदेवप्रसादाच्च (शांति) १५३.११७ दवं चोपासते सर्व (अन) १६२२ देवराजसमो हासीद्ययाति:(आ) ८६८ देवषि पर्थपच्छस यथा(शल्य) ५४.२२ देवव्रती स्यादवपभप्रदान (अन)७६.२० देवदेवः शिवः सर्वो (शांति) १२२.५३ देवं परमकं ब्रह्म श्वेतं (गाति) ५४८.६६ देवराजः सहस्राक्ष: (आश्व) ६१.४ देवषिलोमशो दृष्टस्ततः (स्त्री)२६.२० देवव्रतो तु निहते कुरूणा(द्रोण) १.१३ देव देवेन युध्येत (विरा) ५०.२० देव मुनि बा यक्ष वा (शांति) ३०.३४ देवराजः सहस्त्राक्ष (वन) १६८.३५ देवषिस्विगुरुदेवराजाय(सभा)५०९ देवशर्मा च धौम्मश्च (अनु) १६५.४६ देवदेवो मया दृष्टो (वन) ३१४.२३ देव विधातु त्रिवृतं (शांति) २४५.२६ देवराज सुदेवोऽयं मम(शांति) ९८.१० देवषिविषमा ज्ञात्वा (शांति) ३०१.६ देवशर्मा महाभागस्ततो (अनु) ४०.४१ देवदन्यदिनान (उद्योग) ३६.२६ देवयानचरो विरुणो (शांति) ३२०.३० । देवराजस्य चक्रीडां (अनु) १०७.२२ वषिसिद्धगन्धर्वाः (द्रोण) १३६५५ देवश्रेष्ठोऽसि देवेन्द्र (शांति)२८१.२२ देव द्विज गुरु प्राजपू ननं (भीष्म)४१.१४ देवयाना हि पन्यान (शांति) २६८.१४ देवराजस्य र यिताम (उद्योग) ११.२१ देवलोकच्युता: सर्वे (भीष्म) ७.७ दवषयः पुण्यकृतो (उद्योग) ८३.६६ देवने कुशलश्चाहं न (सभा) ४८.२० देवयानी च दवितां सुता(अनु)७६.१५ देवराजस्य भवन (वन) १७३ ६७ देवसोकच्युताः सर्वे तथा(भीष्म)८.१४ देवषयाच सिद्धाश्च (शल्य) ४४.३२ देवनेन मम प्रीतिनं (वन) ७८.१५ देवधानी प्रजाताऽसौ(आ) ८२.८ । देवराजस्थ समय (आव) ६.२ देवलोक दर्शयन्नेव (शल्य) ५०.८ देवसत्रस्य यज्ञस्प फल(वन) ८४.६८ देवपक्ष चराः सौम्याः (अनु) ८५.१४१ देवयानेन नाकस्य (शांति) १२.६ देवराजेन च पुग (शांति) २६५.५ देवलोक तथा तिये (शांति) ३०८.४६ देवसेनापतिस्त्वेव (वन) २३१.५४ देवपल्यश्च कन्याश्च (अनु) ८५.६७ देवयान्यच भूयोऽपि (आ) ७६.४४ देवगजोऽपि तं दृष्ट्वा (बा) २२७.१३ देवलोकं ब्रह्मलोकं संचर(आ) ८७.२ देवसेना दानवहि भरना (वन) २२३.५ देवपत्न्यो देवकन्या देव(अनु) १४.३८ देवयान्यपि त विप' (आ) ७६.२६ देवराऽपि गन्धर्वान् (वन) २४६.१८ देवलोकादिम लोक (वन) १५५.१० देवस्थानाभिगमनं (शांति) ३६८ देवपुत्रमहं मन्ये (कर्ण) ३४.१५६ देवपान्या तु सहित: स(आ) ६२.४ ।। देवर्षयश्च कात्स्न्ये न (वन) ६६.५६ देववंशान्पितृवंशान् (शांति) ११.१७ देवस्थानेषु चैत्येषु (वन) १६०६७ देवपुत्रसभाः सर्वे शोप (भीष्म) १०३.२२ देवयान्या भुजिष्यास्मि(आ) ८२.२३ देवर्षयश्च नागाश्चाप्य (आश्व) २६.७ देववंशान् ब्रह्मवशान् (शांति) ११.१६ देवस्य च गृहस्थापिशानि)२८४.२०६
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