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________________ बीमन्महाभारतम् ।। श्लोकानुक्रमणी २९२ ततो विमल आदित्ये उद्योग) ४.१० ततो विश्रभ्य विस्पष्ट (वन) २८.९ ततो वीक्ष्य दिशः सर्वाः (शल्य )२६.१७ ततो वेगेन महता (वन) १६६.२१ ततो वैषणवो राजा (शांति) ७४.१६ ततो विमुच्य देवेन्द्र (शांति)२८२.५६ ततो विधान्तमासीनं (शांति) १७०.७ ततो वीक्ष्य नरश्रेष्ठ (भीष) १२०.३७ ततो वेगेन महता (द्रोण) १६६४ ततो वैश्रवणो राजा (शांति) ७४.८ ततो विमुच्य बाहुभ्यां (विरा) ४५.२५ ततो विषण्णमनसो (वन) २२.१५ ततो वृकोदरी राजन् (शल्य) ३०.४३ ततो वेदविवस्तात (आ) ५६.२७ ततो वै सहसोत्याय(उद्योग) १८२.२६ ततो विरहितं दृष्ट्वा (आ) १४१.३१ ततो विषविमुक्तात्मा (वन) ७२.३२ ततो वृक्षौषधितृणं (शांति) २८२.३६ ततो वैकर्तनः कर्णः (आ) १४१.२१ ततो व्यतीत पृषते स (आ) १३०.४३ ततो विराट: कौन्तेय (विरा) ३४.३ ततो विष्टभ्य विपुलो (अनु) ४०.५६ ततो वृक्षौषधितृणं (शांति) २८२.३७ सतो वैकर्तनः कर्णः (द्रोण) १३३.८ ततो ध्यध्वगतं पार्य (सभा) ७६.१ ततो विराटदु पदौ (द्रोण) १४.८३ ततो विष्णुगिरि दृष्ट्वा (अनु) १३६.२० ततो बृक्षौषधितृणं (शांति) २८२.४२ ततो बैंकर्तन जित्वा (विरा) ६१.१ ततो व्यपेततमसि सूर्ये (उद्योग) ८३.६ ततो विराटद्र पदी (द्रोण) १६.३२ ततो विष्णमहातेजा(शांति) २०६.१६ ततो वृतो मया भर्ता (आ) १५४.६ ततो वै गाधये तात (अन) ४.१ ततो व्यपोहमानास्ते (आ) १५०.७ ततो विराट: परमाभि(विरा)७१.२८ ततो विसर्जयामास (उद्योग)१३७.२६ ततो वृत्रवधे यत्र (वन) १००.५ ततो व तं ऋषिधेष्ठ(शांति)३४१.५१ ततो व्यरोचत द्रोणो (द्रोण) १६०.२५ ततो विराटं प्रथम विरा) ७.१ ततो विसर्जयामास (शाति) ४४.१ ततो वृद्धं तथा दृष्ट्वा (शांति)५०.११ ततो वैतरणी गच्छेत् (वन) ८५.६ ततो व्याकुलितं सर्व (वन) १६.२८ ततो विराटं समुपेत्य (विरा) ८.७ ततो विसज्य गन्धर्व वन) ४६.१ ततो विद्वान् द्विजान् (वन) २६५.२ सतो वैतरणी सर्वे (वन) ११४.१३ ततो व्यायच्छतामस्तै (द्रोग) १२६.३६ ततो विराटमूचस्ते (एिस) २३.७ ततो विसष्टो राज्ञा (अनु) १०.६३ ततो बृद्धाश्च बालाश्च (मा) ७.७० ततो वैतालिकः सतैः (शांति) ३७.४३ ततो व्यावृत्य राजानं (वन) १.१८ ततो विराटस्य सुतो (विरा) ५७.४२ ततो विस्फार्य नयने (द्रोण) १६.३६ ततो वृद्धाश्च बालाश्च (आ) १८१.३ ततो वै द्वापरं नाम (शांति) ३४०.८५ ततो व्यासः परमो (आ) १६७.३८ ततो विलीनगर्भा सा(वन) २३०.३६ ततो विस्फार्य नयने (द्रोण) १६७.३२ ततो वृन्दारकं वीरं (द्रोण) ४७.१२ ततो वैवाग्निका: प्राहः (शल्य)४१.२० ततो व्यासवनं गच्छेन् (वन) ८३.६३ ततो विलोक्य तेजस्वी (अनू) १५६.३७ ततो विस्फार्य बलवद् (द्रोण) १०३.३६ तता वृन्दारकं वीरं (द्रोण) १२७.६१ ततो वै ब्राह्मणी गत्वा (वन) ८४.५८ ततो व्यासश्च भगवान् (शांति) ५८.२५ ततो विलप्य विरता (आश्व) ८०.१६ ततो विस्धार्य समहच्चापं (कर्ण)४६.१८ ततो वृन्देन महता (विरा) ५८७२ नतो वै रथपोषेण (द्रोण) १२७.६९ तता व्यासाम्यनुज्ञ तती विनिदमानः स उद्योग) १७.१२ ततो विस्फार्य सुमहद (द्रोण) १३२.२१ ततो वषो बाणनिपात (कर्ण) १०.५६ ततो वरविनिर्बन्धः कृतो (आ) १६. ततो व्यासो महातजा (आश्रम) २२ ततो विवाहे निवृत्त (आ) १०१.१ ततो विहस्य विषिः (अनु) २.५७ ततो वष्णिप्रवीरा ये (वन) २२.१३ ततो वैश्रवणं तत्र (वन) २७५.१४ ततो युदस्त तत्संन्य (द्राण) १३८.११ ततो विवाहे निवृत्ते (आ) ११३.१६ ततो विहारराहारः (वन) २.७० ततो वृष्णि प्रवीरा (वन) १४.७ ततो वैश्रवणोऽभ्येत्य (अन) १६.३७ ततो व्यूढान्यनाकानि (द्वाण) १२.१५ ततो विविक्त एकान्ते(आश्रम)२६.२२ ततो विह्वलमानं तं (द्रोण) १५.३० ततो बृहस्पति/मान (शांति)२८१.३२ ततो वैश्रवणो राजा (अनु) १६.४८ ततो व्यूढेष्वनीकेषु (द्रोण) ८८.१ ततो विशल्यामासाद्य (वन) ८४.११४ ततो वीक्ष्य विषाः सर्वाः (द्रोण)१२६.५ ततो वेगेन कौन्तेय (द्रोण) १३७.२३ ततो वैश्वणो राजा (शांति) ७८.५ ततो म्यूटेष्वनीकेषु (भीष्म) ५७.१ For P ersonen www w ibrary
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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