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________________ श्रीमन्महाभारतम् : श्लोकानुनी २७६ ततो गर्भशतर्जन्तु (बनु) १११.६७ ततो गान्धाराजस्य (आ) ११०.१५ ततोऽग्निमानयित्वेह (वन) २६७.७६ ततो जगाम त्वरित: (वन) २६३.२७ ततो जवेनाभिससार (सभा) ६७.२६ ततो गर्भः सम्भवति (बनु) १११.३० ततो गान्धारराजस्य (आश्व) ८४.१६ ततोऽग्निमुपसंहृत्य (द्रोण) ५३.१६ ततो जगाम मिथिला (धन) २.७.६ ततो जाजलिना तेन (शांति) २६४.५ तता गभः सम्भवत् (वन) ३०८.१ ततो गान्धार राजस्य द्रोण) ३०.२ ततोऽग्निमुहसंहृत्य (शांति) १४१.६५ ततो जगाम बसुधां (उद्योग) १८२.२० ततो जानपदा: सर्व (आ) १६४.२१ ततो गव्यूतिमात्रेण (शांति) १२५.१८ ततो गान्धारराजस्य (शल्प) २३.२६ ततोऽग्नि मुपसंगृह्य (शांति) २५७.१४ ततो जगाम विदुरो (आ) २०६.७ ततो जानपदा नाम (आ) १३०.६ ततोऽगस्त्य कृपाविष्टः (अनु) १००.२६ ततो गान्धारराजेन (आव) ९३२० ततोऽग्निरूपयेसे तां (वन) २२५.७ ततो जगाम विद्रो (अभा) ७६.६ ततो जाल बाणमय (कण) १०.७ ततोऽगस्त्यः सुरपति (मनु) १००.१८ ततो गान्धारी विदुरः (सभा) ७१.२४ ततोऽग्निर्भरतश्रेष्ठ (मता) १.४३ ततो जग्मुर्महात्मान: (आ) २२६.१५ ततो जालं बाणमयं (उद्योग) १८१.६ ततो गाण्डीवधन्वा च (द्रोण) २०१.४० ततोऽग्निसदृशं घोर (कर्ण) १०.१०३ ततो जग्राह केशेषु (विरा) २२.५२ ततो त्रिगभिषन्तस्ते (मो) ततो गिरः पुरुषवर (शांति) ४७.१०८ ततो गाण्डीवधन्वा तु(आश्य) ८२.१५ ३.७ ततो गिरिमिवात्यर्थ (वन) १६७.२५ ततोऽग्नतस्ततः सिद्धान् (अनु) ८४.१३ ततो जग्राह धर्मे स (अमु) ५१.४४ ततो जित्वा त्वमेवैनं (उद्योग) १८३.१६ ततो गाण्डीवधन्वानमभ्य (द्रोण)२६.४४ ततो गिरिवरश्रेष्ठे (वन) ततोऽग्रसेनस्य मुतं (उद्योग) ४८.७८ ततो जग्राह रोषण (वन) ततो गाण्डीवधन्वानमभ्य (शल्य) ६२.८ ८५.५८ ६.५० ततो जिष्णुः सहस्राक्षां (आ) २२७.१२ । ततो घटोत्कचः ऋद्धो(द्रोण) १५६.१३७ ततो जग्राह शकुनिा (सभा) ६०१ ततो ज्यातलनिर्घोषः (शल्य) २४.१४ ततो गाण्डीवनिर्घोषो (कर्ण) ८१.१६ ततो गिरिसुता दृष्ट्वा (अनु) १४०.३१ ततो गृधवचश्रुत्वा (शांति) १५३.१५ ततो पोकचो बाणे(द्रोण) १५६.१२८ ततो जमाह स श्वाङ्ग (शांति) १४१.६३ ततो ज्या विनिधायन्या (कर्ण)६०.६६ ततो गाण्डीवनिर्घोषः (भीष्म) ७८.३० ततो गधवट गच्छत्स्थान(वन) ८४६१ ततो घोरतमः शब्दो (वन) २७१.२ ततो जधान समरे वृत्र(द्रोग) ९४.६६ ततो ज्येष्ठेतु दौहित्रे (शांति) ३४८.५० ततो गाण्डीवनिर्घोष (सभा) ८१.३४ ततो गहीत्वा तीक्षमाप्रशस्य) १०.४ तता पारतरः शब्दा (वन) २७०.१ ततो जनमहाभरी: (भीष्म) ४३.१०६ ततो ज्येष्ठो जामदग्न्यो (वन) ११६.१० ततो गाण्डीवनिमुक्ता (विरा) ६४.३४ ततो गौक्षीरकुन्देन्दुमणाल(वन) ११६.४ ततोऽङ्गिरः सुतः (शांति) २८१.२६ ततो जनार्दनः संख्ये (द्रोण) ६६.५७ ततो ज्वलनमानW (द्रोण) १७.२२ ततो गाण्डीवनिमुक्तः (आश्व) ७५५ ततो गोपाः प्रगातार: (वन) २४०.८ ततोऽङ्गुलियोहं न्द्रस्य (द्रोण) ६२.६ ततो जयद्रथे राजन् (द्रोण) १४६.१३६ ततो ज्ञात्वा हतामित्र (स्त्री) १४.२ ततो गाण्डीवनिमुक्तः (मो) ७.६० ततो गोपालकक्षं च (सभा) ३०.३ ताचित्य महाबाहु (द्रोण) १३१.३८ ततो जयो महाराज (द्रोण) ६१.३७ ततोऽतिभीतगावस्तु (उद्योग) ६.२७ ततो गाण्डीवभूरो (आव) ७८.१ ततोऽग्नि खाण्डवं (आ) २२६.२१ ततोऽचिरेण कालेन (शांति) २६४.२० ततो जलधरण्यामो (वन) ४१.२७ ततोऽतिमानुष सर्व चक (अश्व) ८.३५ ततो गाण्डीवभन्छुरो (आश्व) ८२.११ ततोऽग्नि तब प्रज्वाल्य (विरा) २२.८६ ततो चेरतुर्वी भगदत्त (द्रोण) २८.२४ ततो जलविहारार्थ (आ) १२८.३१ ततोऽतिविद्धोऽथ (शल्य) १७१८ ततो गाधिः सुतां चास्म(वन)११५२६ ततोऽग्नि तत्र संज्वाल्य(वन) २६८.२५ ततो जगति रामेन्द्र (शांति) ५६.१४४ ततो जलास मुत्तीर्य (आ) ७८.५ ततोऽतुलवंचनिपात (द्रोण) १७६.१० ततो गान्धारराजस्य (आ) ११०.११ ततोऽग्नि नाशायामासुः(वन) २७२.३५ ततो जगाम कौरम्य (अन) ९८.१ ततो जवेन महता गोपः (विरा) ३१.५ ततोऽतुष्यत् सहस्राक्ष (वन) १६८.६१ For Private Personel Use Only Jain Education Intersalon www.jainelibrary.org
SR No.600055
Book TitleMahabharatam
Original Sutra AuthorNagsharan Sinh
Author
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1992
Total Pages840
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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