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अध्यात्म सार:
अर्थात्र भान्ति मान्तो धुद्धिरर घटादो दिन
मान्ने भ्रान्ति भ्रान्तो बुद्धिर घटादौ दिन
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रुषो
॥५७६॥
ऽऽत्ममणो ऽऽत्मकर्मणो मोक्षा मोक्षो यायस्तु पायस्तु
प्रोढा
प्रौढा दुखं योगाऽभ्या योगाऽभ्यास सपा
हरेण सजातेपु सखातेषु
रूपो कमांदि
कर्मादि ब्रहमयो ब्रह्ममयो वलेन
बलेन विपयका विषयका घठते घटते स.सारिक सांसारिक बाहमणे सर्वषां सर्वेषा पसना मकर्म पकमे युक्ति
युक्ति रथाने
कि
रत्नत्र रत्नत्रय वयो न्यो वल तो बनतो दशम दर्शन कण्डल कण्हूल चैतानि ब्रतानि तपः वप,
पासन
1५७६ः।
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स्थाने
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