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• शुद्धि दर्शनम् .
लाईन
पेज.नं
पेज नं.
लाईन २
अध्यात्म सारः
अशुद्ध पाख अध्याम कालिका
२३
१२ ११
अशुद्ध ऋद्धितः भिन्दी भूत सन्निधि
केन्सल मिनन्दी भूतं सन्निधि चतुर्थ
॥५७०॥
शुद्ध पाव अध्यात्म कलिका शास्त्र मध्या सम्पन्नो पप्लवः पाध्यादि शास्त्रार्य कर्हि शास्त्राथ
षण
भूषणं
क्रि
गुरुवं
गुरवं
दिश्य
नदी
अन्वा सम्यन्नो यप्लव: पध्यादि शास्त्रार्थ का शास्त्र शास्र तृष्णाया महौ पत्यान पुत्रख मवामिमि
नंदी
अभ्यास
कीदृशी
तृष्णाया मरी पक्वानत
अश्वास कीदृशी दोप द्रध्य गला
दोष द्रव्य गेला दुखो
पुत्रश्व
1811५७०॥
मवामि
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दुषित
दूषित
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