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स्पर एटले एक बीजाने पण ( नयााद के०) नमी जाणतो. माटे (तुज्ऊ के० ) तहारुं कुटुंब ( कन के०) क्यांथी ? अर्थात् एक बोजाने जाएगा वगर था कुटंब महारुंबे, एम मानी वेगे बुं, ते मिथ्या बे. ॥ ३१ ॥
जावार्थ- हे जीव ! जेना उपर तने घलो मोह बे, ने महारां महारां करे बे, ते तहारां माता पिता स्त्रीयादिक केइ गतिमांधी श्राव्यां बे ? ने केइ गतिमां जशे? अने तुं पल केइ गतिमांथी प्राव्यो बे ? ने केइ गतिमां जश्श ? ते संबंधी तने कांपा खबर नयी. एटले जेम परवने विषे कोइ क्यांथी आव्युं ? ने को इक्यांधी या ए रीते ते सर्वे श्रावीने एकगं मले बे. पबी ते पाणी पीने सन सनने मार्गे वेराइ जाय वे. तेम या जवरूप परवने विषे कुटुंबरूप सर्व लो क पण, कोइ नारकीमांथी, कोइ तिर्यचमांथी, कोइ मनुष्यमांत्री ने कोई दे - वलोकमांथी, एम सन सननी गतिमांश्री श्रावीने नेगां ग्रयां बे. तेल पोतपोता ना कर्मने अनुसारे सुख दुःख जोगवीने, पोत पोतानां करेलां कृत्यने अनुसारे चाल्यां जाय बे. परंतु तेमने राखवाने माटे तुं अनेक प्रकारना उपाय करीश,
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