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अर्थ- हे लोको ! (जग्ग के ) जागवाने ठेकाले अर्थात् धर्म कृत्यने वि षे (मा सुबह के०) न सूइ रहो. अर्थात् धर्म कृत्यने विषे प्रमाद न करो. अने ( पलाइ मि के०) नासवानी जग्याए (कीस के०) केम (वीसमेह के०) विसा मोरो बो? संसार नासवानी जग्या बे, तो तेमा निरांते केम बेसी रह्या वो ? केमके, (रोगो के०) रोग (अ के०) वली ( जरा के०) वृद्धावस्था ( के०) वली (मन्चू के०) मृत्यु (प्र के०) एज (तिन्नि जला के०) त्रा जण जे | ते (अलग्गा के०) तमारी पूंवे लाग्या वे. एटले तमारी केमे पड्या बे. माटे ध कृत्यमा प्रमाद न करो ॥ ५ ॥
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जावार्थ- हे धर्मार्थ जीवो! जेम या ठेकाणे लोकोक्ति एवी ने के, जेनी पासे धन होय, तेमणे लुटवानी जग्याए जागता रहेवुं, अने नासवानी जग्याए | बेसी न रहेवुं, तेम धर्म कृत्यने विषे प्रमाद न करवो, अने नासवा योग्य एवो जे संसार तेमां बेसी न रहेवु, शाश्री के, रोग, जरा, अने मृत्यु एत्रण दुष्मनो तमारी पूंठे निरंतर पमेलाज बे, माटे प्रमाद बोमीने धर्म करणीमां साव
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