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* जीवो चारे गतिमाथी आवीने, आ मनुष्यन्नवमां एकग थया ने. अने तेज जी
वो, पोतानुं आयुष्य पूर्ण करीने, पाग कर्मानुसारे चारे गतिमां जता रहे . तथा जेम मार्गने विषे, कोइ किये गामथी को किये गामथी आवीने लेगा था य, पठी त्यां थोमीवार विश्राम करीने, एटले लातुं खाइने पाठा सर्वे पोत पोताना योग्य स्थानक प्रत्ये जता रहे.ठे, पण तेन एक काणे बेसी रहेता नश्री, तेम पा संसारी जीव पण, कोइ कयि गतिमांथी, को कयि गतिमाथी पानि, एकग थाय , त्यां पोत पोताना कर्मानुसारे सुख दुःख लोगवीने, पठी पाग पोत पोताने योग्य गतिमां जता रहे जे. पण कोइ कोश्ना झाल्या रहेता नश्री. वली जेम चारे दिशाएधी आवेला मनुष्योनां नाम, जूदां जूदां ने, तमां चारे गतिमांथी आवेला, अने एक घरमा रहेला एवा जोवोनां नाम पण,
जूदां जूदां कल्प्यां ने. तेमां को माता कहेवाय ने, कोइ पिता, कोइ नार्या, II कोरलाई, कोइ पुत्र, कोइ पुत्री इत्यादि कल्पनाए करीने नाम ठराव्यांबे. ते hel मां तुं महोटो मोह धारण करे के अवे तेने सुखे सुखी, अने तेने खे खी
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