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यो. तेम हे प्रलवा! आ अवसर चूक्या तो फरी संसारमा पड्या, ने मनुष्य अव | तार मलवो महा पुर्लन ने. एवां वचन सांजलीने प्रवो चोरपण, प्रतिबोध *
पाम्यो. अने बोल्यो के, हे जंबु ! हुं पण तहारी साले दीक्षा लेश्श. पठी जंबु | कुमारे पोताना माता पिताने प्रतिबोध दीधो, तथा आठ कन्यानए वली पोत पोताना माता पिताने प्रतिबोध दीधो,तमा प्रनवे पण, पांचसे चोरोने प्रतिबोध दीघो, एम सर्व मली प्रनाते, नवागुंक्रोम सोनैया धर्म क्षेत्रोमांखरची नांखीने, नत्तम नत्सव सहित पांचशे ने सत्तावीश जनोनी साथे, श्री जंबूकुमारे श्री सु/ धर्मस्वामी पासे दीक्षा लीधी. ए रीते लक्ष्मी अने विषयनां सुख त्याग करवा आ श्री, जंबूकुमारनुं दृष्टांत कयु.पा मधुबिंआना दृष्टांतनो सिखंत एटले नपनय घणो प्रसिइ, तोपण किंचित् टीका करीने देखाड्यो .
यथा संध्यायां शकुनानां संगमः यथा पथि च पथिकानां जह संझाए सनणा। ण संगमो जह पहे अपहिआणं॥
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