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मन्नन्तो चित्ते धम्मे जाउँ निरुजमो धणिय । पावे तप्परया से पत्ता तत्तायकप्पस्स ॥ १७॥ तो सम्मइंसणव ब्रिायस्स मित्तमोहपसरहिं । तिएडा वुष्टिं पत्ता सायं रुरकस्स गयं व (यव)॥ १७३॥ पारा तो पुपरवि ववसाया विहवखोहबुधेण । खमगुमसकराईण रुप्पमणिकंचणाणं च ॥ १७८ ॥ बहुएहिं (कि) कलेसेहिं मीखित्ता सो य रयणकोमी। न य संतोस पत्तो नईसहस्सेहिं जह जखही ॥ १७५॥ अजियधणसंचयरस्कणम्मि अणुवक्रियस्स श्लाए । न सुयश्न जिमइ न रमन गम सुस्केहि दियहाई॥ १७६ ॥ पियरपि मायरं वा सयणं तह परियणंपि न हु गण । तिलतुसमि-16 तविणासे रूस तूसइ न कोवि ॥ १७॥ मग्गिजंतोवि हु पग्गणेहिं तह चारणेहिं नहिं । अप्पर कवड्डियपि दु न | दु बहुधएकोमिलोहिलो ॥ १७ ॥ महया करेण न दे अप्पणो विदु कुर्मुबलोयस्स । निबाहोचियद सबं मे जाइश मुबई ॥ १७ए ॥ असई पुराणधन्नं (ने) नवं पुणो संगहश् गिहस्संतो । न हु विस्सस ( सस्स ) ई कस्सइ नस्सइ नामेण धम्मस्स ॥ १०॥ तेणन्नया कयावि दु समप्पिङ कोमिरयणधणरासी । नियमाउलगसुयस्स उ बहुविवाणिजाकजाकए ॥ ११॥ तस्सागमणे तबेहयम्मि पारधए सयं तेण ।न हु पंचबोड्डियाएं गणं खनइ त कुविर्ड ॥१२॥ सत्ताहोरायमिया विहिया उजागरा जिसं तस्स । तबससंपन्न विसूश्यस्स तम्मरणमुववन्नं ॥ १३ ॥ पिदुश्रा न दुआ| हत्यम्मि दच्या इय नायमाकलित्तु जणा । मायंगघरन्नस्स व कोइ न निबेइ तस्स धणं ॥ १४॥ तम्मि पुरे अह कश्या | वि (चिरा) खयराश्कसंजारा । सुमहग्या संजाया घणेण न धणेण खनंति ॥ १०५॥ सागरदिन्नुबाहो त श्मो| पंचगड्यसयाई। सत्ये गहिचं पत्तो महामवी अंतरे दूरे ॥ १०६॥ नियकम्मकरेहिं तो कप्पावेलं तरूणि सो खग्गो।।
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