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________________ Jain Education FIGERA छ ५ दो प्रतिष्ठा संवत् १६७८ में ललितपुर में पंडित सुंदरलालजी वसवावालोंने और पंडित नन्हेलालजी और पंडित मोतीलालजी बुन्देलखंडवालोंने कराई । संवत् १६७८ में दा प्रतिष्ठा हुई । ६ एक प्रतिष्ठा सुजानगढ़ में पंडित धन्नालालजी केकड़ीवालोंने कराई | ७ एक प्रतिष्ठा दिल्ली में पंडित सुन्दरलालजी और नन्हेलालजोने कराई। ८ संवत् १६८० में वेसवा जिल्हा हाथरसमें पंडित सुन्दरलालजोने कराई | संवत् १९८१ में ब्यावर नयानगर जिल्हा अजमेर में पंडित सुन्दरलालजी और पंडित पन्नालाल गोधाजीने कराई | १० इस साल नवा नगर मारवाड़में फालगुन सुदी ५ को पंडित पन्नालालजी केकड़ी वालोंने कराई | और भी कई जगे हुई है सो यह प्रतिष्ठापाठ बहुत प्रामाणिक ग्रंथ है इसको कोई काई शासन देवताभक्त पंडितलोक नांव रखते हैं सो उनकी गलती है, शुद्धाम्नायवाले दर्शनिक श्रावकको तो इसही प्रतिष्ठापाठके आधारसे प्रतिष्ठा करानी चाहिये । - हिराचंद नेमचंद सोलापुर । For Private & Personal Use Only Morary.org
SR No.600041
Book TitlePratishthapath Satik
Original Sutra AuthorJaysenacharya
Author
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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