SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाव ओं अस्मिन् जिनेऽद्भ तरूपगुणो विलसतु स्वाहा ॥६॥ ओं अस्मिन् जिने सुगंधशरीरगुणो विलसतु ॥७॥ ओं अस्मिन् जिने अष्टोत्तरसहस्रलक्षणव्यंजनवत्वगुणो विलसतु स्वाहा ॥८॥ मों अतुलबलवीर्यस्वगुणो विलसतु स्वाहा ॥६॥: ओं हितमितप्रियवचनत्वगुणो विलसतु स्वाहा ॥१०॥ एवं दशातिशयान संस्थाप्य तदनंतरं भों अहद्भ्यो नमः, ना केवल ब्धिभ्यो नमः, तोरवादलब्धियो नमः, परसादुलधियानमः, संभित्रोतृभ्या नमः, पादानुसा&ारिभ्यो नमः, कोष्ठबुदिभ्यो नमः, वीजबुद्धिभ्यो नमः, सर्वावधिभ्यो नमः, परपावधिभ्यो नमः। PL ओं ह्रौं वलावल्गुनिवप्रवणे। ओं ऋषभादिवमानांतेभ्यो वषट्वोषट् स्वाहा। इति मंत्राभ्यां अंगानि संस्पृशेत् । तथा-ओं णमोभयवदो बहुमाणस्स रिसहस्स जस्त चक्कं जलंतं गई प्रायासं पायालं लोयाणं भूयाणं जए वा विवाद वारयंगणे वा भणे वा मोहणे वा सजोषसत्ताणं अपराजिदा भादुकवाव स्वाहा। इति वधमानपत्रेण चांगानि संस्पृशे । इसाकारशुदि निष्पाद्य जयजयशब्दपुरस्सरं तथेवरावतोपरि जिनं संस्थाप्य राजगृह नयेत् । पुनमत्र-ओं ऋषभ आदि दिव्य देहका धारो सब उत्पन्न पहाबुदि अनन्त चतुष्पाक पर परमपुवा प्रतिष्ठिा निर्पल स्वयंभू अजर | अमर पदमाप्त चतुर्मुख परवेटो अरत्रलोक्यनाथ त्रलोक्यपूज्य अदिव्य नासनिकरि प्रपूजित देवादिदेव वरदके अर्यि परमार्थेमें युक होहु । इनि दोय मंत्रनि करि प्रतिमाका अंगनिने सर्शित करतो गुणाको अधिरोपण करे। इहां इंद्र अह आवाय इनिको हो कोव्यता कहो है सो गुणनिका रोपण ऐसा कि इस विवमें निःस्वेदता आदि गुण प्रकाशमान हो हु । १ । मलरहितयाण प्रकाशमान हाहु ।रातोरगोर शोणित गुण प्रकाशमान होहु ॥३॥ समचतुरस्र गुण०। ४ । वषमनाराचगुण । ५। अग तरूप गुण।६। सुगंध शरीर गुणः।७। अष्टोत्तर सहस्रगुण । ८। अतुल | बलबीर्यत्व गुणा । हितमितप्रियवचनत्व गुण । १०॥ ऐसें दरा अतिशयरूप गुण ते स्थापन कर पोके मों अहंतनिकूनपः, नवकेवललब्धिनिकूनमः, क्षीरस्वादुलब्धिकूनमः, संभिम श्रोतृनिकूनमः, पादानुसारिकू नमः, काठबुद्धिनमः, वीज बुद्धिा नपः, सर्वाव ALSCRECOREGAOB%84% CE Jain Educa For Private & Personal Use Only elibrary.org
SR No.600041
Book TitlePratishthapath Satik
Original Sutra AuthorJaysenacharya
Author
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy