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________________ पाठ मतिष्ठा *29 KARELICOBAREERALIBABAR येसितु वृषभसेनपुरस्सरा ये, सिंहादिसेनपुरतोऽजिततीर्थभर्तुः। श्रीसंभवस्य किल चारुविसेनमुख्यास्तुर्यस्य वज्रधरमुख्यगणाधिराजाः ॥ ३०२॥ कोकध्वजस्य चमराधिपपूर्वगाः स्युः पद्मप्रभस्य कुलिशादिपुरःस्थिताश्च । श्रीसप्तमस्य बलमुख्यकृताः पुराणे चंद्रप्रभस्य शमिनः खलु दत्तमुख्याः ॥३०३ ।। मकरांकितो गणभृतश्च विदर्भमुख्याः श्रीसीतलस्य गणया अनगारगण्याः। श्रेयोजिनस्य निकटे ध्वनि कुंथुपूर्वा धर्मादयो गणधरा वसुपूज्यसूनोः ।। ३०४ ॥ मेर्वादयश्च विमलेशितुरुद्धबुद्ध्या जय्यार्यनामभरणाश्चतुर्दशस्य । धर्मस्य भांति शमिनः सदरिष्टमूलाश्चक्रायुधप्रभृतयः खलु शांतिभर्तुः ॥ ३०५ ॥ कुथुप्रभोर्यमभृतः कथिताः स्वयंभूवर्याः पुनंत्वरविभोः स्मृतकुंभमान्याः। मल्लेविशाखमुनयो मुनिसुव्रतस्य मल्लिप्रवेकगणता नमिभर्तुरिष्टाः ॥ ३०६ ॥ सप्तर्द्धिपूजितपदाः सुप्रभासमुख्या नेमीश्वरस्य वरदत्तमुखा गणेशाः । पार्श्वप्रभो स्त्रयमितः सुभवोंतनाम्ना वीरस्य गौतममुनींद्रमुखाः पुनंतु ॥ ३०७ ॥ जे श्रीआदिनाथ स्वामीके वृषभसेन आदि गणधर हैं, अरु अजिसनाथस्वामीके सिंहसेन आदि गणधर हैं, अरु श्रीसंभवनाथ भगवानके चारुसेन आदि मुख्य गणधर हैं, अरु चौथे श्रीअभिनंदननाथ स्वामीके वजूधरस्वामी आदि गणधर हैं, अरु कोकको है चिद जिनके असा सुपतिनाथके चमरसेन आदि हैं , अरु पद्ममभस्वामीके कुलिशनाथ आदि हैं, अरु सातपां सुपार्श्वनाथ प्रभूके बल आदि गणधर है, अरु पुराणमैं श्रीचंद्रप्रभके शयका धारी दत्तधर आदि हैं, अरु मत्स है चिद जिनक असा पुष्पदंतस्वापोका विदर्भ आदि गणधर हैं, अरु शोतलनाथका अनागार आदि गणधर हैं, अरु श्रेयांसनाथका निकटयार्गवर्ती कुंथदत्त आदि गणधर हैं, अरु धर्म सेन आदि गणधर हैं श्रीवासुपूज्य महाराजका जानो, अरु विमलनाथके मेरु आदि सुन्दर बुदिधारी गणधर हैं, अरु चौदमां अनंत नाथस्वापीके जयदत्त आदि नामधारी हैं, अरु *AASARASHTRA Jain Educati o nal For Private & Personal Use Only ahelibrary.org
SR No.600041
Book TitlePratishthapath Satik
Original Sutra AuthorJaysenacharya
Author
PublisherHirachand Nemchand Doshi Solapur
Publication Year
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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