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________________ E/ सोगठांबाजी रमवा बेठां, ते अवसरे कुबेरदत्तना हाथथकी ते नामांकित मुद्रिका कोइक प्रकारे निकलीने कुबेरदत्तानी JE आगल पडी. लार पछी तेणीए ते मुद्रिका पोतानी मुद्रिकानी साथे सरखी आकृतिवाली, अने एक देशमां घडेली, भाषांतर शतकम् सहित अने सरखा नामवाली एवी देखीने मनने विषे कुबेग्दत्तने पोतानो भाई छे, एम निश्चे करीने ते बे वीटीयो कुबेर ॥ ३८ ॥ दत्तना हाथमां घाली. ते अवसरे कुबेरदत्त पण ते वींटी जोवा थकी तेमज तेने पोतानी बहेन छे, एम निश्चे करीने । अतिशे खेद पाम्यो. त्यार पछी ते बेजणे पण पोताना विवाहना कार्यने अकार्य मानतां एटले आखोटुं धयं ! एम ३८ जाणतां एवां पोतानो संदेह निवारवाने माटे पोत पोतानी माताने सम खवरावीने अतिशे आग्रहे करीने पोतपोतानं | स्वरूप पूछयु. ते अवसरे तेमनी माताभोए ते बे जगनी आगल मंजूषामांथी (पेटीमांथी) कहाड्या लांथी मांडीने / सर्व पण वृत्तांत कयुं. त्यार पछी कुबेरदत्त माता पिताने कहेवा लाग्यो के, तमे अमने जोडले जन्मेला जाणीने पण | Ki| आबुं अकार्य केम कर्यु? त्यारे ते कहेवा लाग्यां के, तहारा सरखी कन्या अने तेना सरखो वर क्यांहि अमने मल्यो | RE नहीं; तेथी सरखां शोभादि गुणवालां तमने जाणीने तमारा बेनोज माहोमाहे विवाह कयों. परंतु हजु सूधी काइJ पण बगडयुं नथी. जे कारण माटे तमारा बेर्नु एक करपीडनज थयुं छे. एटले फक्त एक हाथनोज मिलाप थयो छे, पण मैथुनकर्म थयुं नथी. ते माटे तुं खेदन करीश. तने बीजी कन्या परगावीशं. त्यार पछी कुबेरदत्ते का.. तमारूं | Ka वचन महारे प्रमाण छे, परंतु हमणां तो हुं व्यापार करवाने माटे परदेश जवानी इच्छा राखुं छु. ए कारण माटे मने | | आज्ञा आपो. पार पछी ते शेठ शेठाणीए आज्ञा आपी, पछी कुबेरदत्त, ते वृत्तांत पोतानी बहेनने कहीने, घणांक Jain Education Interne 2010_05 For Private & Personal use only Jwww.jainelibrary.org HE
SR No.600040
Book TitleVairagya Shataka
Original Sutra AuthorPurvacharya
AuthorGunvinay
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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