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________________ भावार्थ-रे मूढ आत्मन् ! अनंत दुःखनां कारण एया, स्वजन, विभव, धन इत्यादिकने विषे ममत्व करी वैराग्य टा दाखनो भारतं माथे उपाडे के. पण वर्तमानकालना स्वजनादिकने जोतं उपकारी जाणीने ममत्व करता भागात शतकम् It होय तो, एवी रीतना उपकार करनार तो, अनंता भवमां अनंता स्वजनादिक थयां छे. माटे ते स्वजनादिकने विषे सहित ॥१३५॥ तु केम ममत्व नथी करतो ? अने ते स्वजनादिकना क्या हाल थया हशे? तेनो पण लगारमात्र विचार नथी करतो? 36 ॥१३५॥ वली फक्त आज भवना स्वजनादिकने अर्थे राग द्वेषे करीने खेती, व्यपार, अने सेवादिक के, जेमां प्राणीनो उपघात थाय, एवी न करवा योग्य क्रिया, आ जीव कर्या करे छे. जेम फरशुराभे अनंतवीर्य राजामा आशक्त थएली रेणुका A नामे पोतानी मातानुमाथु कापी नांख्युं. तथा तेज फरशुरामे पोताना पिता उपर राग होवाथी एकवीशवार नक्षत्री | पृथ्वी करी. वली कोणिक राजाये राज्यना लोभे करीने पोताना पिता जे श्रेणिक राजा, तेमने बंधीखानामा नांख्या | तेमज पोतानी मनोवृत्ति प्रमाणे चालवामां अडचण करनार जाणीने, चुलणी राणीये पोताना पुत्र जे ब्रह्मदत्त, तेने or मारवाने अर्थ लाखना मोहोलमां घाली अग्नि सलगाव्यो. वली एक हार हाथीनी लडाइने माटे, फक्त एक पद्मावतीना वचनधीज एक क्रोडने एंसीलाख जीवोनो घात थयो. वली राज्यना लोभे करीने भरत अने बाहुबली ए वे भाई वच्चे। | महोटुं युद्ध थयु ने तेमां हजारो जीवोनो संहार थइ गयो. वली विषयराग पूरो न थवाथी पोताना पति जे परदेशी राजा, सरिकता राणीये झेर दइने मार्यो. एटलुंज नही पण छेवटे गले नख पण दीधो. वली पुत्रीना लेहे करीने | जरासंघे श्रीकृष्ण वासुदेव संगाथे महोटुं युद्ध करी, पोताना कुलसहित हजारो जीवोनो नाश को. वली राज्यना www.sainelibrary.org JainEducation international 2010_05 For Private & Personal Use Only
SR No.600040
Book TitleVairagya Shataka
Original Sutra AuthorPurvacharya
AuthorGunvinay
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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