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साधुसाध्वी
॥७२॥
कहाताहै जो १६ अंगुल समचोरस ऊनी कपडा होताहै, उसके बीचमें एक छिद्र (फांडा) होताहै जिससे वह ।
आवश्यझोलीके छेडोंमें डालकर पात्रोंपर बांधा जाताहै । ५ पात्रकेसरिका (पूंजणी)-यहभी १६ अंगुल लंबी हो- भकीय विचार तीहै । ६ पडले-जो गौचरीके समय पात्रोंकी झोली हाथमें लिये बाद उपरसे ढांके जाते हैं जिससे संपातिम संग्रहः (उडते हुए) जीव आदिकोंकी रक्षा होसके, क्योंकि पात्रोंकी (१) झोली खुली रखनेसे उडते हुए छोटे छोटे जीव अथवा पवनसे कंपते हुए वृक्षोंके पत्र (पांन )-पुष्प-फलादिक तथा सचित्त रज-पाणी वगेरह एवं आकाशमें फिरनेवाले पक्षियोंकी विष्टा (वीठ) अथवा पवनसे उडता हुआ धूलका समुदाय आदि पात्रोंमें | पडजाताहो उनकी रक्षाके वास्ते पडले रखे जातेहैं, इससे यह साफ मालूम हुआकि-गौचरी जाते समय हाथमें । लीहुई पात्रोंकी झोली उपर पडले जरूर ढांकने चाहिये, जिससे उपर कही चीजें पात्रोंमें पडकर आहार अकल्पनीय न होवे । पडलोंका कपडा यदि जाडा (गडवार ) होवे तो चौमासेमें पांच, सीयालेमें चार, उन्हालेमें 2 | (१)-" अस्थगिते पात्रके सम्पातिमाः सत्त्वाः पतन्ति, पवन प्रकम्पित पादपादेः पत्र-पुष्प-फलादीनि सचित्तरज-सलिलादयोव्योमवर्ति विहङ्गम पुरीष-वात्याहत-पांशुप्रकरादयश्च निपतन्ति, ततस्तत्संरक्षणार्थ पटलानि धियन्ते" प्रवचनसारोबार वृत्तिः पत्र १२० ॥
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2010_05
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