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साधुसाध्वी ।। ५७॥
संग्रहः
समणो वंदिउं जावणिजाए निसीहिआए अणुजाणह मे मिउग्गहं' तक कहते हुए आसन के आगेकी तरफ से आवश्यआकर 'निसीहि' बोलते हुए संडासे पूंज कर बैठके पहलेकी तरह ही सब विधि करते हुए संपूर्ण सूत्र कहे, कीय विचार परंतु खड़े होकर आसनके पिछली तरफन जावे, उसी जगह खडा रहे और आवस्सियाए 'यह पद न कहे। |
३-छम्मासी तप चिंतन-विचार| काउस्सग में रहा हुआ विचार करे कि जैसे भगवान् श्रीमहावीर स्वामीने छ महीने के उपवास किये थे वैसे हे जीव ! तूं भी क्या करसकता है ?, नहीं, यदि पूरे छ महीने के उपवास नहीं कर सकता है | तो क्या एक दिन कम छ महीने करसकता है ?, नहीं, इसी तरह २ दिन कम ३ दिन कम यावत् २९ दिन हा कम छ महीने कर सकता है ?, नहीं, यदि इतने दिनतक उपवास नहीं कर सकता है तो क्या पांच महीने है। करसकता है ?, नहीं, इसी तरह अपने जीवको पूछते जाना और जो न करसके उसका अपने आप मनही से मना है करते जाना, ऐसे एक एक दिन कमती करते हुए ४ महीने, ३ महीने, २ महीने, यावत् एक महीने तक विचार करलेना, बाद एक महीने में भी एक एक दिन कमती करते हुए १३ दिन कमती करदेना अर्थात्
tAICHIGGISIS SISAUCISTAX
॥५७॥
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