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________________ साधुसाध्वी उपकरण सवेरेकी तरह पडिलेहे। बाद ओघा खोलकर पहले डोरा १० बोलसे पडिलेहे, बाद ऊनकी निषद्या | ॥ २३॥ (ओघारिया ) सूतकी निषद्या (निशिथिया) पाठा तथा ओघेकी दशियां अनुक्रमसे २५-२५ बोलसे पडि-2 संग्रहः लेहे, बाद डंडी १० बोलसे पडिलेह कर ओघा पीछा बांध लेवे, बाद दंडे पडिलेह कर जिस जगह पर कपडे आदि की पडिलेहण करी हो ? उस जगहसे काजा निकालकर एकांतमें परठे, बाद इरियावही पडिकमकर : मुटि भीडकर १ नवकार गिणे अथवा आगे लिखा पाठ बोलकर मुट्टिसहि पञ्चम्खाण पारे-"मुट्टिसहि पञ्चखाण फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं जं च न आराहियं तस्स मिच्छामि दुकडं " ॥ १०-देवसिय-पडिक्कमण-विधिःKaile संध्याको पडिक्कमणेका टाइम होनेपर मातरे जाना हो? तो जाकर इरियावही पडिकमे, बाद गुरुको अथवा : सबसे बडेको वंदना करके पञ्चक्खाण करे, खमा० देकर कहे-इच्छा० संदि० भग० ! थंडिल पडिलेडं ?' गुरु । कहे-'पडिलेहेह' बाद 'इच्छं' कहकर "आगाढे आसन्ने० " इत्यादि पाठ बोलते हुए ओघेसे २४ मांडले ॥२३॥ IS करे. खमा० देकर 'इच्छा० संदि० भग० ! गोचरी आदि पडिक्कमुं?, इच्छं' इच्छामि खमा० 'इच्छा० संदि० XAXXXXZZZIRATIX Jain Education Interne 010_05 For Private & Personal use only Mw.jainelibrary.org
SR No.600039
Book TitleAvashyakiya Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhimuni, Buddhisagar
PublisherHindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size7 MB
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