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________________ anelam के जन्माभिषेक का महोत्सव करने पर प्रभात के समय में नगर के कोतवालों को बुलाता है। कोतवालों को ॐ बुलाकर उनसे इस प्रकार कहा | ९७) हे देवानुप्रियो! तुम शीघ्र ही क्षत्रियकुंड ग्राम नगर के कैदखाने में रहे हुए कैदियों को छोड दो। इस प्रकार 3 कैदखाने की शुद्धि करके तोल-नाप को बढ़ा दो, तत्पश्चात् क्षत्रियकुण्ड नगर में अन्दर और बाहर पानी 卐छिंटकावो, सफाई करावो-लिंपावो। तथा सिंगोडे के आकार के तीन कोने वाले स्थान में, जहां तीन रास्तों 12 का संगम होता है उस स्थान से, जहां चार रास्तों का संगम होता है उस स्थात से, जहां अनेक मार्गों का संगम * होता है- उस स्थान से, चार दरवाजे वाले देव मंदिरादि के स्थान से, राजमार्ग के स्थान से तथा सामान्य मार्ग 1 के स्थान से इन सभी स्थानों से, मार्गों के मध्य भाग से और दुकानो के मार्गों से कूड़ा कचरादि को दूर फिंकवाकर जमीन को समान कराके, पानी से छंटवाकर पवित्र करो और नगर में घरों की दिवारों पर गोशीर्ष चन्दन के, लालचन्दन के दर्दर नामक पहाडी चंदन से पांच अंगुली और थापों से युक्त दिवारों को करो। घर 77 Eation.international Forvetes egonal
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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