SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 0000000000 ३६) मोती की मालाओं का ढेर, क्षीरसमुद्र, चन्द्रमा की किरणे, जलबिन्दु और चांदी का विशाल पहाड़ जैसा गोरख वर्णवाला, रमणीय, देखने योग्य, जिनके पॉव स्थिर और मजबूत है, जिनकी दाढ़ें गोल, विशेष मजबूत, बिचमें खाली भाग बिना का, दूसरों Q की तुलना में बढ़कर व पैनी दाढ़ो से जिसका मुंह अतिसुन्दर दिखाई देता है तथा दोनो जिसके होट स्वच्छ-उत्तम कमल के समान कोमल-प्रमाणोपेत, शोभायमान और मजबूत है लाल कमल की पंखुडिया जैसे कोमल मुलायम तालूवाला और जिसकी जिहा बाहर लटकती हुई है वैसा, जिसकी दोनों चक्षु सोनार की घमनी में रक्खे हुए गर्म किये हुए उत्तम सोने की तरह चमकती है वैसी , बराबर गोल और स्वच्छ विद्युत की भांति चमकती हुई आंखोंवाला, विशाल और मजबूत उत्तम जंधावाला, बराबर संपूर्ण स्वच्छ कंधावाला, तथा जिनके केश-कोमल, श्वेत, पतली, सुन्दर लक्षणोपेत पंक्ति है वैसा, चारों ओर फैले हुए केश के आडम्बर से शोभित, जिसकी पूंछ ऊपर उठाने से व गोलाकार बनने से सुन्दर लगता है वैसा, शान्त, दर्शनीय ऐसा आकाश से उत्तर ते हुए और बाद में मुंह में प्रवेश करते हुए ऐसे सिंह को त्रिशला क्षत्रियानी देखती हैं, और वह सिंह कैसा है? अत्यन्त तीक्ष्ण अग्रभाग वालें है नाखुन जिसके तथा मुख की शोभा हेतु पल्लव पत्र की तरह जीभ फैलाई है जिसने ऐसे सिंह को त्रिशला क्षत्रियाणी तीसरे स्वप्न में देखती है।३ (30-00卐0930 Sation international For P & Penale Caly
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy