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________________ 卐ON (२२३) गौतम गोत्रिय फल्गुमित्र, वसिष्ट गोत्रिय स्थविर धनगिरि, कौत्स्य गोत्रिय शिवभूति तथा कौशिक गोत्रिय दोज्जंतकंट को मैं वंदन करता हुँ। (१) उन सबको शिर से नमन करके काश्यप गोत्रिय चित्त को वंदन करता हुँ। काश्यप गोत्रिय नक्ख को और 13 काश्यप गोत्रिय रक्ख को भी वंदन करता हूँ। (२) ॐ गौतम गोत्रिय आर्य नाग, वासिष्ट वासिष्ट गात्रिय जेहिल और माढर गोत्रिय विष्णु तथा गौतम गोत्रिय कालक को भी वंदन करता हुं । (३) 3 गौतम गोत्रिय (म) अभार को, सप्पलय को तथा भद्रक को वंदन करता हुं । काश्यप गोत्रिय स्थवीर संघ । पालित को नमस्कार करता हैं । (४) काश्यप गोत्रिय आर्य हस्ति को वंदन करता हुं । ये आर्य हस्ति क्षमा के सागर और धैर्यवान थे । तथा * ग्रीष्म ऋतु के प्रथम मास के शुक्लपक्ष के दिनों में काल धर्म पाये थे । (५) OF卐00000000
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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