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________________ OF10000050 प्र. अब वे कौन कौनसी शाखायें है ? . उ. वे शाखायें इस प्रकार है :- 1. श्रावस्तिक, 2. राज्यपालिका, 3. अन्तरिज्जिया और 4. क्षेमलिज्जिया । प्र. अब कुल कौन कौन से है ? उ. कुल इस प्रकार है :-1. गणिक, 2. मेधिक, 3. कामर्द्धिक और 4. इन्द्रपूरक । (२१५) वारिष्ठ गोत्रिय स्थवीर ऋषि गुप्त काकदिक से माणक नाम का गण निकला । उसकी ये चार शाखायें और तीन कुल निकले । प्र. अब वे कौन कौनसी शाखायें है ? उ. शाखायें इस प्रकार है:- 1. काश्यपिका, 2. गौतिमिका, 3. वाशिष्ठिका और 4. सौराष्ट्रिका । प्र. अब वे कौन कौन से कुल है ? 1803 400000000000
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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