SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 0000 15 प्र. अब कौन कौन से कुल कहलाते है ? उ. कुल इस प्रकार से हैं :- 1. नागभूत 2. सोमभूत 3.उल्लगच्छ, 4. हस्तलिप्त, 5. नंदिज्ज, और 1 6. परिहासक । उद्देहगण के ये छः कुल जानना । 8 (२१२) हारिय गोत्रिय स्थवीर सिरिगुप्त से यहाँ चारण गण नामका गण निकला । उसके ये चार शाखाएँ 卐 और सात कुल निकले हैं। प्र. अब वे कौन कौन सी शाखाएँ हैं ? * उ. वे शाखाएँ इस प्रकार से हैं 1. हारित मालागिरि, 2. संकासिका, 3.गवेधुका, और 4. वजनागरी। प्र. अब वे कौन कौन से कल कहे गये है । . उ. कुल इस प्रकार से है 1. वत्सलिज्ज, 2. प्रीतिधर्मिक, 3. हालिज्ज, 4. पुष्पमैत्रिक 5. मालिज्ज, 6. आर्य वेडक और 7. कृष्ण सह । चारणगण के ये सात कुल है। 20500050000 178
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy