SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -00卐000000 आठ मास न्यून ऐसे दस कोटी सागरोपम व्यतीत हऐ, उस समय में श्री महावीर स्वामी प्रभु का निवार्ण हआ और उसके बाद नव सौ वर्ष बीत गये इत्यादि पाठ उपर्युक्त अनुसार समझना। (१८३) अर्हन् श्री चन्द्रप्रभस्वामी के निर्वाण काल से एक सौ क्रोड सागरोपम व्यतीत हए, शेष पाठ श्री शीतलनाथ प्रभु की तरह समझना। वह इस प्रकार बयालीस हजार तीन सौ वर्ष साड़े आठ मास न्यून ऐसे एक सौ क्रोड सागरोपम व्यतीत हए, उस समय में श्री महावीर प्रभ का निर्वाण हआ उसके पश्चात् नौ सौ वर्ष बीत गये इत्यादि सब ऊपर कहे अनुसार समझना।। (१८४) अर्हन् श्री सुपार्श्वनाथ प्रभु के निर्वाण काल से एक हजार क्रोड सागरोपम व्यतीत हुए, शेष पाठ श्री शीतलनाथ प्रभु की तरह समझना । वह इस प्रकार बयालीस हजार तीन वर्ष और साड़े आठ मास न्यून ऐसे एक हजार क्रोड सागरोपम व्यतीत हुआ, तभी श्री महावीर प्रभु का निर्वाण हुआ इत्यादि सब ऊपर प्रमाण समझना। 0000000卐049
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy