SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७४ विषयांकःपृष्ठाङ्कः विषयाकः पृष्ठान र ६५ गंगा नदी में सुदंष्ट्रदेवकृत भग- ७८ भगवान् के विहारस्थान का वर्णन २४० वान् के उपसर्ग का वर्णन २०८-२१५ ७९ भगवान् के उपसर्गों का वर्णन २४१-२५३ हम ६६ उपकारक और अपकारक के प्रति ८० भगवान की आचारपरिपालन विधिका भगवान् के समभाव का वर्णन २१६ वर्णन २५४-२६१ ६७ भगवान् के संगमदेवकृत उपसर्ग ८१ भगवान् के अभिग्रह का वर्णन २६२-२६७ ॥ का वर्णन २१७-२१९ | ८२ अभिग्रह की पूर्ति के लिये फिरते हुवे ६८ भगवान् के चातुर्मास का और भगवान् के विषय में लोगों के तर्क तप का वर्णन २२०-२२१ वितर्क का वर्णन २६८-२७३ ६९ भगवान् को संगमदेवकृत उपसर्ग का ८३ अभिग्रह की पूर्ति के लिये फिरते हुवे ___और भगवान् के चातुर्मास का वर्णन २२२-२२६ भगवान् के चन्दनबाला के समीप पहुंचने का वर्णन ७० भगवान् के अनार्य देश में प्राप्त परीपह एवं उपसर्ग का वर्णन २२७-२२८ ८४ भगवान को आहार ग्रहण के लिये चन्दनबालाकी मार्थना २७५ ७१ घोर परीषह एवं उपसर्ग प्राप्त होने ८५ भगवान को भिक्षा ग्रहण किये विना पर भी भगवान् के मन के अविकृत ही पीछे फिरते देखकर चन्दनवाला के स्थिति का वर्णन अश्रुपात का वर्णन २७६ ७२ भगवान की आचारविधि का वर्णन २३० ।। ८६ धनावह शेठ के घर में पांच दिव्य ७३ भगवान् के समभाव का वर्णन २३१-२३५ । प्रगट होने का वर्णन २७७ ७४ भगवान् की आचारविधि का वर्णन २३६ ८७ चन्दनबाला के चरित्र का वर्णन २७८-२९२ ७५ भगवान के अनार्यदेश में उपस्थित ८८ अन्तिम उपसर्ग का वर्णन २९३-३०० परीपह एवं उपसर्ग का वर्णन २३७ ८९ भगवान् के विहार का वर्णन ३०१-३०३ ७६ भगवान् के विहारस्थानों का वर्णन २३८ ९० भगवान के दश प्रकार के महा७७ भगवान् के समभाव का वर्णन २३९ . स्वमदर्शन का वर्णन ३०४-३०५ २२९ Jain Education Stional For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600024
Book TitleKalpasutram Part_2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1959
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy