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________________ म विषयांक:पृष्ठाङ्कः | विषयांकः पृष्ठाङ्क: ११६ मौर्यपुत्रका देवों के अस्तित्व के १२४ गणधरों के शिष्यसंख्या का वर्णन ४३० विषय में संशय का निवारण और १२५ मेतार्य पंडित का परलोकविषयक उनके दीक्षाग्रहण का वर्णन ४१५-४१६ संशय का निवारण और उनके मा ११६ अचलभ्राता नामक पंडितका पुण्य दीक्षाग्रहण का वर्णन ४३१-४३२ पाप के विषय में संशय का निवा १२६ प्रभास नामक पंडितका निर्वाण रण और उनके दीक्षाग्रहणका वर्णन ४१७-४२० विषयक संशय का निवारण और १७ अकम्पित नामक पंडित का 'परभव उनके दीक्षाग्रहण का वर्णन ४३२-४३३ में नारक नहीं है' इस विषयके १२७ गणधरों के संदेह का संग्रह . ४३५ संशयका निवारण और उनके दीक्षा १२८ गणधरों के शिष्यसंख्या का वर्णन ४३६ ग्रहणका वर्णन १२९ चतुर्विधसंघ की स्थापना ओर ११८ अचल भ्रातानामक पंडित का पाप चातुर्माससंख्या कथन ४३७ पुण्यविषयक संशय का निवारण १३० गणधरों को त्रिपदीपदान का वर्णन ४३८ और उनकी दीक्षाग्रहणका वर्णन ४२२-४२४ | १३१ नवप्रकार के गणों के भेदका वर्णन मेतार्य पंडितका परलोकविषयक सं. और भगवानकी धर्म देशना का वर्णन ४३९ शयका निवारण और उनके दीक्षा १३२ भगवान के चातुर्मास संख्या का कथन ४४० ग्रहण का वर्णन ४२४ १३३ चन्दनवाला के दीक्षाग्रहण का वर्णन ४४१ १२० प्रभास पंडितका निर्वाणविषयक सं १३४ चतुर्विधसंघ की स्थापना और गणशय का निवारण ४२५ धरौको त्रिपदीपदान का वर्णन ४४२ १२१ मेतार्य का परलोक विषयक संशय १३५ नवप्रकार के गणों का भेदप्रदर्शन ४४३ का निवारण और उनके दीक्षा १३६ भगवान् की धर्म देशना का वर्णन ४४४-४४५ ग्रहण का वर्णन ४२६-४२७ | १३७ गौतमस्वामीको देवशम ब्राह्मण को र १२२ प्रभास पंडित के दीक्षाग्रहण का वर्णन ४२८ प्रतिबोधित करने के लिये नजदीक १२३ गणधरों के संदेह का संग्रह ४२९.net........के गांवमें भेजने का वर्णन ४४६-४४७ Melinelibrary.org
SR No.600024
Book TitleKalpasutram Part_2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1959
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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