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________________ गए तब उन्हें उन अपूर्व ध्यानके योगसे केवलज्ञान उत्पन्न होगया और उसीसमय अर्थात् केवलज्ञान होते ही पद्यम्न | उनका शरीर छूट गया-मोक्ष प्राप्त हो गया। यह जानते ही भगवानके समवसरण में जो देव बैठे हुए थे, वे सब उठ खड़े हुए और गजकुमारकी ओर चले ।४५-५१। श्रीकृष्णजीने पूछा हे भगवन् ! यहां से यह देवगण जय जय शब्द करते हुए क्यों उठ रहे हैं ? भगगन बोले श्रीगजकुमार मुनिको शुक्लध्यानके योगसे केवलज्ञान उत्पन्न हुआ है, तथा उपसर्गके जीतनेसे तत्काल ही उनका मोक्ष भी हो गया है । इसलिये वे सब देव और मनुष्य वहां जा रहे हैं । ५१-५४। यह सुनते ही सब लोगोंने श्री गजकुमारको बड़े अचरजमें यहां वहां देखा, और इतनी जल्दी यह सब कैसे होगया, इसका कारण पूछा। तब जिनेन्द्रदेवने भी उपमर्ग आदिका वृत्तान्त कह सुनाया। गजकुमारका इसप्रकार निर्वाण देखकर तथा भगवानकी वाणी सुनकर अनेक लोगोंको वैराग्य हो गया । इसलिये उन्होंने जिनदीक्षा ले ली। जो दीक्षा नहीं ले सके, उनमें से बहुतोंने अणुव्रत ग्रहण कर लिये, बहुतोंने सप्तशील धारण किये और बहुतोंने गृहस्थोंके छह कर्म पालन करनेका नियम लिया ।५५-५७। निदान भगवानकी वाणीसे सब ही देव मनुष्य सन्तुष्ट और मिथ्यात्वके नष्ट करनेवाले सम्यक्त्वको प्राप्त हो गये अर्थात् सब ही समकिती हो गये ।५८।। श्रीकृष्णजीने भी जानलिया कि यह संसार असार है। क्योंकि जितने त्रेसठशलाका पुरुष अाज तक हुए हैं, उन सबको नष्ट हुए सुने हैं। कानरूपी अंजुलियोंसे जिनेन्द्रदेवके वानरूपी अमृतका पान करके सब लोग हर्षित हुए। तदनन्तर बलभद्रजीने इसप्रकारसे अपने मन की बात पूछी कि हे नाथ ! जो पदार्थ अनादि हैं, वे तो अकृत्रिम हैं, इसलिये उनका कभी नाश नहीं होता है, परंतु जो पदार्थ उत्पन्न होते हैं, वे अवश्य ही नष्ट होते हैं, ऐसा मुझे पक्का विश्वास है । इसलिये बतलाइये कि द्वारिकाका नाश कब और कैसे होगा तथा श्रीकृष्णकी मृत्यु कैसे होगी ? क्योंकि ऐसा तो हो ही Jain Education international For Private & Personal Use Only www.janelibrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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