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________________ प्रद्युम्न २६७ I बलदेव पांडव आदि शूरवीरोंसे शोभित हो रही थी । ७-६ । श्रीकृष्णजीके और दूसरे पूज्य पुरुषोंके चरणोंको नमस्कार करके वे दोनों चतुर कुमार यथोचित स्थानपरजा के बैठगये । १० । एक तो प्रद्युम्नकुमार के निकट बैठा और दूसरा भानुकुमार के निकट । उन्हें सर्व सभाजनोंने प्रसन्नता के साथ देखा । ११ । उस समय बलदेवजी पांडवोंके साथ द्यूतक्रीड़ा कर रहे थे अर्थात् जूा खेल रहे थे और श्रीकृष्णजी देख रहे थे । उन सुन्दर राजकुमारोंको देखकर पांडवोंने तथा बलदेवजी ने कहा कि हे कुमारों, था तुम भी खेलो । १२ - १३ । बालकोंने नमस्कार करके कहा, आप जैसे पूज्य पुरुषोंके खेलते हुए हम लोगोंकी योग्यता नहीं है कि खेल सकें | १४ | तत्पश्चात् जब उन लोगोंने बहुत आग्रह किया, तब दोनों कुमार प्रद्युम्न और भानुकुमार के मुहकी ओर देखने लगे । इस अभिप्राय से कि इनकी क्या इच्छा है । १५ । जब उन्होंने आज्ञा दे दी, तब वे सब यदुवंशियोंके साथ श्रीकृष्णजो के साम्हने खेलने लगे ।१६। पहले उन्होंने एक करोड़ मुहरकी बाजी लगाई, सो शंबुकुमारने जीत ली। सुभानुकुमार हार गया । १७। उस समय प्रद्युम्न कुमार ने कहा कि द्रव्य ले आओ और फिर खेलो। क्योंकि धाका यह नियत मार्ग है कि द्रव्य लेकर के फिर खेलते हैं ।१८। यह सुनकर भानुकुमारने सत्यभामा के पास तत्काल ही एक करोड़ मुहरें लाकर दे दी | १९| करोड़ मुहरें गई यह देखकर सत्यभामा लज्जित हुई। उसने बड़े भारी घमंडसे अपना एक मुर्गा सभामें भेजा और कहला भेजा कि यदि शंबुकुमार मेरे इस मुर्गे को जीत लेगा, तो मैं दो करोड़ मुहरें दूंगी । २०-२१। उस समय शंबुकुमार ने अपने बड़े भाई मुहकी ओर देखा । अभिप्राय समझकर प्रद्युम्नकुमार एक विद्यामयी मुर्गा बनाकर ले आये ।२२। सत्यभामाका मुर्गा मुर्गीके विरहसे व्याकुल हो रहा था । सभाके साम्हने ही उसके साथ में शंबुकुमारके मुर्गेकी लड़ाई होने लगी । सो अन्तमें उसके मुर्गेने ही सत्यभामाके मुर्गे को हरा दिया। उसने दो करोड़ मुहरें जीतीं और उन्हें लेकर प्रद्युम्नकी आज्ञासे तत्काल ही याचकों को - भिक्षुकों को For Private & Personal Use Only Jain Education international चरित्र www.jainbrary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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