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अञ्जन प्र.कल्प
॥३५॥
REGREATEGC ACIGARENCE
इह अमुक अमुक० जिनबिम्बाञ्जन आगच्छ २; पूजां गृहाण २, पूजायामवतिष्ठ २ स्वाहा ।
पूजन मंत्र:-ॐ हीं वरुणाय नमः।
(केरवानी माळाथी ॐ श्री हाँ-मंत्र १०८ बार गणवो.)॥ ५। ६-वायु दिक्पालपूजनविधि :-- वायुठे आह्वान नीचेनो श्लोक तथा मंत्र बोली करवु :-- हरिणो वाहनं यस्य, वायव्याधिपतिर्मरुत् ।
सङ्घस्य शान्तये सोऽस्तु, बलिपूजां प्रतीच्छतु ॥ ६ ॥ (अनु.) ॐ क्ली हाँ वायु संवौषट् ।
ॐ नमो भगवते वायव्याधिपतये, त्रिभुवनव्यापकमूर्तये, जगजीवनाय, ध्वजहस्ताय, मृगवाहनाय, सायुधाय, सपरिच्छदाय इह अमुक अमुक० जिनबिम्बाचन० आगच्छ २, पूजां गृहाण २; पूजायामवतिष्ठ २ स्वाहा।
पूजन मंत्र :-ॐ ही वायवे नमः।
(केरबानी माळाथी ॐ क्ली हाँ--' मंत्र १०८ वार गणवो.)॥६॥ ७-कुबेर दिक्पालपूजन विधि :--
कुबेरन आह्वान नीचेनो श्लोक तथा मंत्र बोली करवं :--
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॥३५॥
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