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अखन प्र. कल्प
॥३५॥
राज्याभिषेकविधि राज्यतिलकविधि नालोकांतिकदेबोनी विनंती दीक्षाकल्याणकविधि कुलमहत्तराहितोपदेश दीक्षास्तान सर्वालं कारमोचन पंचमुष्टिलोच. सर्वविरतिस्वीकार देवदूष्यवस्त्रनुं स्थापन अष्टस्तु त-देववंदन जिनस्वागत-धारणा | दशमदिनविधि
अधिवासनाविधि दिप लपूजन
११८
प्रहपूजन शांतिबलिमन्त्र बलि-बाकुळ प्रक्षेप देववंदन कसुंबी बस्त्र ढांक. बज्रपंजर आत्मरक्षा शुचिकरण सकलीकरण मुद्रासहित अधिवासना मंत्रोच्चार.
सुमित्रसहितवासक्षेत्र १२३ १२३ । कसुबीवनापनयन
१२४ | अक्षरन्यास
घीनु' पात्र मूकवु'.
परमेष्ठिमुद्राथी जिनाह्वान १२६ अधिष्ठायकदेव-देवी आह्वान
अधिष्ठायकदेव-देवी स्थापन
,,,,, सन्निहितकरण १ देववंदन क्षमापना अंजनविधि सुख डादि मूकवा
चिंबनु स्थिरीकरण १३१ अंजननी शलाका मन्त्रबानो मन्त्र
अंजन मन्त्रवानो मन्त्र अंजनकरण
AUGSUIRIGIERLIGARRIGARRIAK
१३१
धूप
॥३५॥
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