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अञ्जन
प्र. कल्प
॥२४५॥
ર
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यूथिका वर्णका
वासंती
चंपक
बकुल
तिलक
कंद
अट्टहास
अतसी
कोरंटक
अतिमुक्तक
कुमारी तरणी
गैरिक
सुबंधा
हरिताल
हिंगुल
मनःशिला
गंधक
खटिका
पारद
सौराष्ट्री
गोरोचन
तुवरी
विटमाक्षिक
अभ्रक
वाताम
परिशिष्ट - नं. ९
पंडित श्रीरंगविजयजी विरचितं श्रीप्रतिष्ठाकल्पस्तवनम् ॥
सं. १८७९मां चामे सवाईचंद खुशालचंदे श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवंतना प्रतिमाजीनी अंजनशलाका करावी ते प्रसंगे दसे दिवसनी विधि प्रतिदिन जे रीते थई तेनुं विवरण करतुं १९ ढानुं पंडित श्री रंगविजयजी विरचित श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ पंचककल्याणकगर्भित 'प्रतिष्ठा कल्प 'तुं प्राचीन हस्तप्रतमांथी मळेलुं स्तवन आपेल छे.
दांति कारवेल
कौशी
मुंडी
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महामुंडी
पुपुनाड
बोल
रोध
शृंगाटक
सिंधुर
शंखप्रस्तरी
कांपिल्ल
हंसपदी
करमंद
छुनीरा
घुनीरा
सेसकी
चोभ
॥२४५॥
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