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________________ अञ्जन प्र. कॅल्प 1120811 Jain Education प्रथम वलयम:- अष्टदल वलय करी पूर्वादिकमे अर्हदादि आउनी आ प्रमाणे स्थापना करवी :१. ॐ नमोऽर्हद्भयः स्वाहा; २. ॐ नमः सिद्धेभ्यः स्वाहाः ३. ॐ नम आचार्यभ्यः स्वाहा; ४. ॐ नम उपाध्यायेभ्यः स्वाहा ५. ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः स्वाहाः ६. ॐ नमो ज्ञानाय स्वाहा, ७. ॐ नमो दर्शनाय स्वाहा ८. ॐ नमश्चारित्राय स्वाहा ॥१॥ बीजा वलयां :- चतुर्विंशतिदल वलय करी तेमां अनुक्रमे २४ जिन माताओनी आ प्रमाणे स्थापना करवी :१ ॐ नमो मरुदेव्यै स्वाहाः २ ॐ नमो विजयायै स्वाहाः ३ ॐ नमः सेनायै स्वाहा ; ४ ॐ नमः सिद्धार्थायै स्वाहा ५ ॐ नमो मङ्गलायै स्वाहाः ६ ॐ नमः खुसीमायै स्वाहाः ७ ॐ नमः पृथ्व्यै स्वाहा ८ ॐ नमो लक्ष्मणायै स्वाहाः ९ ॐ नमो रामायै स्वाहाः १० ॐ नमो नन्दायै स्वाहा ११ ॐ नमो वैष्णव्यै स्वाहाः १२ ॐ नमो जयायै स्वाहा; १३ ॐ नमः श्यामायै स्वाहाः १४ ॐ नमः सुयज्ञायै ( सुयश से ) स्वाहा ः १५ ॐ नमः सुत्रतायै स्वाहा १६ ॐ नमोsचिरायै स्वाहा १७ ॐ नमः श्रिये स्वाहाः १८ ॐ नमो देव्यै स्वाहा; १९ ॐ नमः प्रभावत्यै स्वाहा २० ॐ नमः पद्मावत्यै स्वाहाः २१ ॐ नमो वप्रायै स्वाहाः २२ ॐ नमः शिवायै स्वाहा; २३ ॐ नमो वामायै साहा; २४ ॐ नमस्त्रिशलायै स्वाहा ॥२॥ त्रीजा वलयां :- षोडशदल वलय करी सोळ विद्यादेवीओनी आ प्रमाणे स्थापना करवी :१ ॐ नमो रोहिण्यै स्वाहा; २ ॐ नमः प्रज्ञप्त्यै स्वाहाः ३ ॐ नमो वज्रशृङ्खलायै स्वाहाः ४ ॐ नमो चत्राङ्कुश्यै For Private & Personal Use Only ॥१७४॥ jainelibrary.org
SR No.600016
Book TitlePratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Original Sutra AuthorSakalchandra Gani
AuthorSomchandravijay
PublisherNemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
Publication Year
Total Pages340
LanguageDevnagri, Gujarati
ClassificationManuscript, Ritual_text, Vidhi, Devdravya, & Ritual
File Size18 MB
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