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अञ्जन प्र.कल्प
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नवकारशी (संघजमण); तपस्वीओनु सामूहिक बहुमानादिक तपना उजमणानो प्रसंग यादगार बनी गयो.
विशेषमा सामूहिक ज्ञान पूजन प्रसंगे पूज्य आचार्य भगवंते सूचन कयु के आराधनानी कायमी स्मृति माटे परमात्मानी भक्ति साथे ज्ञानभक्ति थाय तेम विचारवु जोइए. श्रीसंघनी अनुकूळता-भावना मुजब--
(१) अंजनशलाका संबंधी महोपाध्यायजी श्री सकलचंद्रजी गणिकृत 'प्रतिष्ठाकल्प' (२) अभ्यासु जीवोने उपयोगी थाय तेवी श्री हेम नूतन लघु प्रक्रिया' अने (३) पू. धर्मराजा गुरुदेवे संगृहीत करेल 'श्री प्राकृत सुभाषित संग्रह।
आ त्रण ग्रन्थो प्रकाशित करवानी प्रेरणा करता अमोए तेओश्रीनी वात वधावी लइ आत्रणे पुस्तको शेठश्री नेमचंद मेलापचंद झवेरी, जैन बाडी उपाश्रय ट्रस्टना ज्ञानखातामांथी प्रकाशित करवानुं नक्की कयु. .
तेन। फळश्रुतिरूपे केटलाय वर्षोथी अप्राप्य बने ली आ प्रा प्राप्य बनी. ते माटेना मुद्रणनी तमाम व्यवस्था जीगी प्रीन्टर्सवाळा | श्री जीतुभाईए करी आपी. तेमनो अमे हार्दिक आभार मानीए छोए.
प्रांते आशा राखीए के अंजनशलाका-विधिनो आ अनुपम ग्रन्थ पूज्य आचार्यभगवंतादि मुनि भगवंतोने तेमज सुज्ञ विधिकारकोने विधिमा सविशेष उपयोगमां आवे जेथो अमारो आ प्रयास सफळताने पामे.
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शेठश्री नेमचंद मेलापचंद अवेरी जैन वाडी उपाश्रय ट्रस्टना ट्रस्टीओ
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