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अञ्जन प्र. कल्प
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सप्तधान्यनी वृष्टि :___ पछी श्रावकोए शण, कळथी, राई, जव, सरसव, कांग तथा अडदनी व्रण मुठीओ बिंब उपर नांखवी. तेमज कुळदेवी अंबिकानी पूजा करवी. जिनजन्मविधान :-- नीचेना चे श्लोको तथा मंत्र बोली सुवर्णकळशमाथी प्रभुजीने वहार कावारूप जन्मविधान करवुः-- संसारद्रुमदावपावकमहा-ज्वालाकलापोपमं;
ध्यानं श्रीमदनन्तबोधकलितं त्रैलोक्यतत्त्वोपमम् । श्रीमच्छी जिनराजजन्मसमय-स्नानं मनः पावनं: ___कुम्भैनः शुभसंभवाय सुरभि-द्रव्याढयवा-पूरितैः ॥ १ ॥ (शार्दूल०) नमस्त्रिलोकीतिलकायलोका-लोकावलोकैकविलोकनाय ।
सर्वेन्द्रवन्याय जितेन्द्रियाय, प्रसूतभद्राय जिनेश्वराय ॥ २ ॥ (उपजाति) ॐ हाँ हाँ हूँ हैं ह्रौं हुः अर्हतीर्थकरपरमदेवाय, ही मातृकुक्षिप्रसवजन्मने जगज्ज्योतिःकराय अर्हते नमः स्वाहा।
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