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________________ स्वोपक्ष वृत्तिविभूषितं प्रस्तावना ॥४८॥ योगशास्त्रम् ॥४८॥ कामशास्त्रम् कामशास्त्रस्य जयमङ्गला टीका कौ० अ० कौटिलीयम् अर्थशास्त्रम् गा=गाथा खटि०=खं. प्रतिस्थं टिप्पणम् चउप्पन्न चउप्पन्नमहापुरिसचरियं तत्त्वार्थ-तत्त्वार्थसूत्रम् तत्त्वार्थमा तत्त्वार्थ सूत्रभाष्यम् तत्त्वार्थ राजकतत्त्वार्थ राजवार्तिकम् तत्त्वार्थ सि-तत्त्वार्थ सूत्रस्य सिद्धसेनीया वृत्तिः तिलोयप० तिलोयपण्णत्ती त्रिषष्टिः त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् दशवै० दशवकालिकसूत्रम् दश० हा०-दशवैकालिकसूत्रस्य हारिभद्री वृत्तिः .. धर्मबि० धर्मबिन्दुः । धर्मबिन्दुटीका धर्मसं०-धर्मसंग्रहणी श्रीहरिभद्रसूरिविरचिता धर्मसं० १०-धर्मसंग्रहस्य स्वोपज्ञा वृत्तिः ध्यानश ध्यानशतकम् नन्दीसूत्रम् नाटयशा० नाट्यशास्त्रम् . नाट्यशा० अ०-नाटयशास्त्रस्य अध्यायः निशीथभाध्यम् न्यायमं० न्यायमञ्जरी जयन्तभट्टरचिता पंचम पञ्चसूत्रम् पञ्चसंग्रहस्य स्वोपज्ञा वृत्तिः पञ्चाशकवृत्तिः अभय देवसरिविरचिता पाक्षिकसूत्रम् Jain Education Inten For Private & Personal Use Only l inelibrary.org
SR No.600012
Book TitleYogashastram Part_1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorJambuvijay, Dharmachandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages502
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Yoga, & Sermon
File Size9 MB
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