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Sramana Bhagavān Mahavira, he gently placed him on his palms and carried him to Trisala at the palace of Siddhartha, in the ksatriya-sector of Kundagrama. He hypnotized Trišalā and her attendants
दूर कर शुभ पुद्गलों का प्रक्षेप करता है। शुभ पुद्गलों का प्रक्षेप कर - 'भगवन् ! मुझे अनुज्ञा प्रदान करें', यह कहकर श्रमण भगवान् महावीर को [किसी भी प्रकार की पीड़ा न हो इस प्रकार निर्वाधरूप से] हथेलियों के संपुट में ग्रहण करता है । श्रमण भगवान् महावीर को हथेलियों के संपुट में ग्रहण कर, वह जहां क्षत्रियकुण्डग्राम नामक नगर है, उसमें जहां सिद्धार्थ क्षत्रिय का घर है, उस घर में जहां त्रिशला क्षत्रियाणी रहती है, .
Sapne
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