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25. Indra then orderd : "go, beloved of gods, carry the embryo of Sramana Bhagvan Mahavira from the womb of Devānanda to that of Trisalā and transfer the embryo now in the womb of Trišala to the womb of Devananda.
[यावत् ब्राह्मणकुलों] से हटाकर, तथाप्रकार के उग्रकुलों, भोगकुलों, राजन्यकुलों, [ज्ञातकुलों], क्षत्रियकुलों, इक्ष्वाकुकुलों, हरिवंशकुलों अथवा तथाप्रकार के अन्य भो विशुद्ध जाति-कुल वाले वंशों में स्थापन-परिवर्तन कर देते हैं। २५. हे देवानुप्रिय ! तो तुम जानो और श्रमण भगवान् महावीर (जीव) को माहणकुण्डग्राम नामक नगर से यावत् [कोडाल गोत्रीय ऋषभदत्त ब्राह्मण की पत्नी जालन्धर गोत्रीया देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षि से (हटाकर-संहृत कर), क्षत्रियकुण्डग्राम नामक नगर में ज्ञातवंशी काश्यपगोत्रीय सिद्धार्थ क्षत्रिय की भार्या वशिष्ठ गोत्रीया त्रिशला क्षत्रियाणी की कूक्षि में गर्भरूप में स्थापित करो। और] जो उस त्रिशला क्षत्रियाणी का गर्भ है, उसे जालंधर गोत्रीया देवानन्दा
कल्पसूत्र
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