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21. "O beloved of gods, it has never happened, it cannot happen and it will never happen that an Arhat, a Cakravarti, a Baladeva, or a Vasudeva will be born in a minor clan or a fringe-clan. They have always been born in noble clans; they are always so born and will always be so born in the future."
२१. "हे देवानप्रिय ! इस प्रकार निश्चय ही प्रतीत में न कभी ऐसा हया है, वर्तमान में न कभी ऐसा होता है और न भविष्य में कभी ऐसा होगा। अरहंत, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव अन्त्यकुलों, प्रान्तकुलों, कृपणकुलों, दरिद्रकुलों, तुच्छकुलों, भिक्षुककुलों में न कभी पाए थे, न कभी आते हैं और न कभी पायेंगे। यह निश्चय है कि अरहंत, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव उग्रकुलों, भोगकुलों, राजन्यकुलों [ज्ञातकुलों] क्षत्रियकुलों, इक्ष्वाकुकुलों, हरिवंश कुलों और तथाप्रकार के विशुद्ध जाति-कुलवंशों में अतीत में आए थे, वर्तमान में आते हैं और भविष्य में आयेंगे। २२. किन्तु इस प्रकार की आश्चर्यकारी घटना भी अनन्त उत्सपिरिणयों और अवसपिरिणयों के बीत जाने पर घट जाती है, जब कि नाम और गोत्र-कर्म के क्षीण न होने से, इनका पूर्ण वेदन न होने से, इनकी निर्जरा न होने से और इन नाम-गोत्र कर्म के उदय में आने से वे अरहंत,
22. "It is possible that during the ever-moving time-cycle of endless arasarpinis and utsarpixis, a prodigious exception might occur and an Arhat,
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Pune
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कल्पसूत्र
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