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( xxi )
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अनगार
अनशन
अभिग्रह
अरहंत
अवग्रह
अवधिज्ञान, अवधिज्ञानी
अवसर्पिणी
कठिन पारिभाषिक शब्दावली
- श्रमरण, मुनि, साधु । गृह का त्यागकर पंच महाव्रत धारण करने वाला निर्ग्रन्थ ।
- प्रशनादि चारों प्रकार के पदार्थों का त्याग करना ।
- नियम, निश्चय, दृढ़ संकल्प ।
- पूजा के योग्य, पूज्य, सर्वज्ञ, निस्पृह, परिग्रह रहित, कर्मशत्रु का नाश करने वाला, भव-भ्रमण रूपी बीज का नाश करने वाला और जिनदेव |
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• चातुर्मास में एक स्थान पर रहने के बाद आस-पास के क्षेत्रों में आने-जाने की मर्यादा का निर्धारण करना ।
- परोक्ष ज्ञान, इन्द्रियों की सहायता के बिना रूपी पदार्थों का होने वाला ज्ञान। ऐसा ज्ञान जिसे प्राप्त हुप्रा हो वह अवधिज्ञानी ।
- कालचक्र का अर्धभाग, अपकर्ष का युग । पृथ्वी, वृक्ष प्रादि वस्तुओंों का स्वारस्य और मनुष्यों के पुरुषार्थ श्रादि गुणों का जिस काल में क्रमशः ह्रास होता रहे, वह समय । इस अवसर्पिणी के छः आरा हैं, यथा- १. सुषम-सुषमा, २. सुषमा, ३. सुषम-दुषमा, ४. दुषम-सुषमा, ५. दुषमा और ६. दुषम-दुषमा ।
श्रवस्वापिनी - मनुष्य आदि को प्रगाढ़ निद्रा में सुलाने वाली विद्या ।
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