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कल्पसूत्र ३३२
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दगफुसिया वा नो परियावज्जइ ॥ २५४ ॥
वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि araफुसियमित्तं पि निवडइ, नो से कप्पइ भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २५५ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स डिग्गधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ वग्धारियवुट्ठिकार्यसि गाहावइकुलं भत्ता वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पड़ से अपवुट्ठिकार्यसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्त वा पविसित्तए वा ॥ २५६ ॥ ( ग्रं. ११०० )
वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स य गाहावइकुलं पिंडवायपsिure अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे
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