________________
दोच्चं पि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२४१॥
वासावासं पज्जोसवियस्स छभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२४२॥
वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा जाव पविसित्तए वा ॥२४३॥
वासावासं पज्जोसवियस्स विकिट्रभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वे वि गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा जाव पविसित्तए वा ।२४४।
वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाइं पाणगाइं पडिगाहित्तए ॥२४॥
कल्पसूत्र ३२४
Jain Education Interational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org