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कल्पसूत्र
३२२
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से किमाहु भंते! सड्ढी गिही गिलइ वा, तेणियं पि कुज्जा ॥ २३८ ॥
वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कापति एवं गोरकालं गाहाइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्त वा पविसित्तए वा, नन्नत्थ आयरियवेयावच्चेण वा उवज्झायवेयावच्चेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डु खुड्डियाए वा अवंजणजाएण वा ॥ २४०॥
वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे - जं से पाओ निक्खम्म पुव्वामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पड़िगहगं संलिहिय संपमज्जिय, से य संथरेज्जा, कप्पड़ से तद्दिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पज्जोसवित्तए, से य नो संथरेज्जा, एवं से कप्पइ
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