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कल्पसूत्र
३१६
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वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पति [निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा ] सव्वओ समंता सकोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए । जत्थ णं नई निचोयगा निच्चसंदणा नो से कप्पइ सव्वओ समंता सकोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए । एरवती कुणालाए जत्थ चक्किया सिया एगं पादं जले किच्चा एगं पादं थले किच्चा एवं चक्किया, एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सकोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए । एवं नो चक्किया, एवं णं नो कप्पइ सव्वओ समंता सकोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ २३३ ॥
वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगईयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ - ' -'दावे भंते ! एवं से कप्पs दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए || २३४ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगईयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवति - 'पडि
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