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कासवगोत्ते णं, तस्स णं पंच नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-उसमे इ वा, पढमराया इ वा, पढमभिक्खाचरे इ वा, पढमजिणे इ वा, पढमतित्थंकरे इ वा ॥१६४॥ ___ उसभे अरहा कोसलिए दक्खे पइण्णे पडिरूवे अल्लीणे भद्दए विणीए वीसं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमझे वसति, वसित्ता तेवद्धिं च पुव्वसय
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कल्पसूत्र २६०
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