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उवसग्गा उप्पज्जति, तंजहा-दिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणिया वा, अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्म सहइ तितिक्खइ खमइ अहियासेइ ॥१५४॥ ___तए णं से पासे भगवं अणगारे जाए इरियासमिए जाव अप्पाणं भावेमाणस्स तेसीइं राइंदियाइं विइक्कंताई, चउरासीइमस्स राइंदियस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खेणं पुवह्नकालसमयंसि धायतिपायवस्स अहे छटेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने, जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥१५॥
पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा
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कल्पसूत्र २१८
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