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75. “Undoubtedly,o beloved of gods, Trisala has seen dreams which are most auspicious and bountiful. They presage fortune and happiness; they augur the acquisition of a kingdom and the birth of a son after nine months and seven-and-ahalf-days. Your son will be born with perfect limbs, manifesting every mark of auspiciousness.
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७५. हे देवानप्रिय ! त्रिशला क्षत्रियाणी ने ये चौदह
सोवाणियाविशालाक्षत्रियागी ने उदार स्वप्न देखे हैं। यावत् ये मंगलकारक स्वप्न देखे हैं । हे देवानुप्रिय ! वे अर्थ-लक्ष्मी का लाभ करने वाले हैं । हे देवानुप्रिय ! वे भोग का लाभ करने वाले हैं। हे देवानुप्रिय ! वे पुत्र का लाभ करने वाले हैं। हे देवानप्रिय ! वे सत्र का लाभ करने वाले हैं। हे देवानुप्रिय! वे राज्य का लाभ करने वाले हैं। हे देवानुप्रिय ! निश्चय ही त्रिशला क्षत्रियाणी नव मास पूर्ण होने पर और उस पर साढे सात अहोरात्रि व्यतीत होने पर, आपके कूल में ध्वजा के समान, कुल में दीपक के समान, कुल में पर्वत के समान, कुल में मुकुट के समान, कुल में तिलक के समान, कुल की कीति बढ़ाने वाला, कुल की समृद्धि करने वाला, कुल के यश का विस्तार करने वाला, कुल का प्राधार, कुल में वृक्ष के समान, कुल में सन्तति-पुत्र पौत्रादि की विशेष वृद्धि करने वाला, हाथ-पैर से सुकुमार, अवयवों एवं पांचों इन्द्रियों से परिपूर्ण, लक्षण और व्यंजन के गुणों से युक्त, मान उन्मान प्रमाण से परिपूर्ण, सुजात, सर्वांगसुन्दर, चन्द्र के समान सौम्य प्राकृति का धारक, मनोहर, प्रियदर्शी और रूपवान् पुत्र को जन्म देगी।
कल्पसूत्र १२३
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