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पुण्णपाणिपायसुकुमालतलेहिं पुरिहिं अन्भंगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणनिम्माएहि छेएहिं दक्खेहिं पट्टेहि कुसलेहि मेहावीहिं जियपरिस्समेहि अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउविहाए सुहपरिकम्मणाए संबाहणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ ॥६१॥ ___ अट्टणसालाओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, तेणेव उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समुत्तजालकलावाभिरामे विचित्तमणिरयणकोट्टिमतले रमणिज्जे व्हाणमंडवंसि नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनिसण्णे पुप्फोदएहि य गंधोदएहि य [उण्होदएहि य सुहोदएहि य] सुद्धोदएहि य कल्लाणयकरणपवरमज्जणविहीए मज्जिए । तत्थ कोउयसहि
कल्पसूत्र
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