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________________ प्रकाशकीय प्राकृत भारती की ओर से अपने प्रथम प्रकाशन, मूल प्राकृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी अनुवाद एवं रंगीन प्राचीन चित्रों की प्रतिकृतियों सहित कल्पसूत्र को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे हर्ष है । इसमें भगवान् महावीर तथा अन्य तीर्थंकरों के जीवनवृत्त और सिद्धान्त समाहित हैं। मैं प्राकृत भारती की ओर से प्रस्तुत 'कल्पसूत्र' के सम्पादक एवं अनुवादक-महोपाध्याय श्री विनयसागर, आंग्लभाषानुवादक डॉ. मुकुन्द लाठ और चित्र-परिचय लेखिका डॉ० चन्द्रमरिणसिंह के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ। मैं, जयपुर प्रिन्टर्स के श्री सोहनलाल जैन और उनके प्रेस के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग के प्रति भी अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ, जिन्होंने बड़ी लगन के साथ प्रस्तुत ग्रन्थ के छपाई आदि कार्य को समीचीन रूपेण सम्पन्न किया। वकील एण्ड सन्स प्राइवेट लिमिटेड, बम्बई के श्री गुणवन्त मेहता ने इस प्रकाशन की प्राचीन पाण्डुलिपि के चित्रों की रंगीन प्रतिकृतियां निर्मित करने में विशेष प्रयास किया है। श्री पारस भंसाली ने इस ग्रन्थ की साज-सज्जा को नयनाभिराम एवं पाकर्षक बनाने में उद्यम किया है। प्रिंस प्रॉफ वेल्स म्यूजियम, बम्बई के निदेशक, श्री सदाशिव गोरक्षकर ने इस पुस्तक में प्रस्तुत चित्रों के सम्बन्ध में अपनी मान्यता प्रदान की। मैं इन सब महानुभावों के प्रति आभार प्रकट करता है। श्री ए. एल. संचेती और श्री गजसिंह राठोड़ ने बड़े उपयोगी परामर्शों के साथ-साथ प्रूफ पढ़ने में अपना योगदान दिया है। श्री प्रकाश बापना और श्री हरिसिंह ने भी इस प्रकाशन में अपना सहयोग प्रदान किया है। मैं इन सब सज्जनों एवं इस प्रकाशन में सहयोग देने वाले अन्य सभी महानुभावों को भी धन्यवाद अर्पित करता है। इस प्रकाशन में यदि कहीं किसी प्रकार की स्खलना रह गई हो तो उसका उत्तरदायित्व मुझ पर है। देवेन्द्रराज मेहता मंत्री प्राकृत भारती, जयपुर wwws Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
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