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________________ उजाणाओ सं० तरंग वईकहा ॥२७॥ आगमणं 2550croreezecene गमो भीरु ! ॥१॥ इय हं तीय सकारणपिययमवयणोप्पियसुहेहि तहुहेहिं अणुणीय बज बच्छविया उदएण पमजिया(अं)च्या R ॥ २(१) ।। चेडीए समं कयलीहराहिं उवनिग्गया गया अहयं । जत्थ य अम्मापुरओ ललइ य सो परियणो घरिणि! ॥३॥ अह मजणमंडणविरयणाहिं वहुवावडं तहिं अम्मं । वावीतडोबविटुं दट्टण अहं उवगय त्ति ॥ ४॥ उबोयबिंदु अंजणविसेसउरुणनयणउन्विर्ग । दट्टण निष्पमं मे पभायचंदोवमं वयणं ॥५॥ अम्मा भणइ विसण्णा किं पुत्ता! आरामहिंडणसमेण । जाया सि विगयसोभा उप्पलमाला मिलायव्या ॥ ६॥ पियविप्पओगदुक्खा इमा अहं सजाणविगयसन्या। अंसुजलभरियच्छी भणामि दुक्खेइ मे सीसं ॥७॥ तो पुत्त ! जाहि नयरिं न समत्था हं पयं पि दाउं जे। दुक्खस्स जो निहाणं जरो य तुरियं अमिलमन्ति ॥८॥ एयं सुणेदुवयणं सुविसण्णा वच्छला महं माया। भणई य निव्वुयाहं पुत्तय ! जह होसि तहा होउ ।।९।। अहमवि नयरिमतीयं कह तुम दुक्खियं विमुंचामि । एणो जत्थायत्ता कुलस्म सधस्स मे वालो ॥१०॥ इस भा(भ)णिऊण अम्मा धूयNसिणेहाणुरागरत्ता य। सयणिजपवाहाणं मो जोत्तावेइ य हंगमाणं ।। ११ ।। चेइय(या) ता महिलाओ सव्वा मजियपमाहिया निमिया। एजाह देहकाले अहयं नगरिं गमिस्सामि ॥१२॥ किं चि महं कायव्वं सु(तु)रिय होइ य निरुस्सुया बु(तु)ज्झे । एवं मणि निंदियत्थं ताओ समयं अहिरुहेइ ॥१३॥ विलयानणस्स विग्यो मा होही उपवणमि यन्यो। तो नयरिपवेमणकारणं पि अम्मा न साहेइ ॥१४|| आरक्खियमयहरए वरिसवरे तत्थ वावडे पुरिसे। काऊण ससंदे सब्वे निययामिगारेसु ।।१५।। अपपरिवारसहिया समं मए कुसलपरियणसमग्गा । जाणेण तेण तुरियं अह नयरिं उबागया अम्मा ॥ १६ ॥ भवणवरं सीसतूलि संजुत्तो १ अ० तदुपहि। २ अ० सुणेवुवेयणं । ॥।॥ २७॥ Jain Education Ional For Private & Personal Use Only A liainelibrary.org
SR No.600009
Book TitleTarangvaikaha
Original Sutra AuthorPadliptsuri, Nemichandrasuri
Author
PublisherJivanbhai Chotabhai Zaveri
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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