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________________ GA R तत्तो अ गुरुपरिणागिलाणसेहाण जे अभत्तट्ठी । संदिसह पायमत्तअ अत्तणो पट्टगं चरिमं ॥४३७॥ पग मत्तग सगउग्गहो अ गुरुमाइआणऽणुण्णवणा । तो सेसभाणवत्थे पाउंछणगं च भत्तही॥ ४३८॥ जस्स जया पडिलेहा होइ कया सो तया पढइ साहू । परिअद्देइ अ पयओ करेइ वा अण्णवावारं ॥४३९॥ चउभागवसेसाए चरिमाए पडिकमित्तु कालस्स । उच्चारे पासवणे ठाणे चउवीसयं पेहे ॥४४॥ अहियासिआ उ अंतो आसन्ने मज्झ दूरतिन्नि भवे । तिण्णेव अणहियासी अंतो छच्छच्च बाहिरओ॥४४१॥ एमेव य पासवणे बारस चउवीसयं तु पेहित्ता । कालस्स य तिन्नि भवे अह सूरो अस्थमुवयाई॥४४२॥ इत्थेव पत्थवंमी गीओ गच्छंमि घोसणं कुणइ । सज्झायादुवउत्ताण जाणणहा सुसाहणं ॥ ४४३ ॥ कालो गोअरचरिअंथंडिल्ला वत्थपत्तपडिलेहा । संभर सो साह जस्स व जं किंचि णाउत्तं ॥४४४ ॥ थंडिल्लत्ति दारं गयं ॥९॥ जइ पुण निवाघाओ आवासं तो करंति सत्वेऽवि । सड्ढाइकहणवाघाययाएँ पच्छा गुरू ठति ॥ ४४५॥ सेसा उ जहासत्तिं आपुच्छित्ताण ठंति सहाणे । सुत्तत्थसरणहेउं आयरिअ ठिमि देवसि ॥४४६॥ जो हुन्ज उ असमत्थो बालो वुड्डो व रोगिओ वावि । सो आवस्सयजुत्तो अच्छिजा णिजरापेही ॥४४७॥ एत्थ उ कयसामइया पुवं गुरुणो अ तयवसाणंमि । अइआरं चिंतंती तेणेव समं भणंतऽण्णे ॥ ४४८॥ आयरिओ सामइयं कड्डइ जाए तहडिया तेऽवि । ताहे अणुपेहंती गुरुणा सह पच्छ देवसिअं॥४४९॥ DCASSAMA- OCARRIGANGANASURE SACCORE Jan Education Interne For Private & Personal Use Only Relaw.jainelibrary.org
SR No.600005
Book TitlePanchvastukgranth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages634
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual_text, & Conduct
File Size12 MB
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